सदस्यता: जी-7 में विकसित, पश्चिमी देश हैं, जबकि ब्रिक्स में उभरते, गैर-पश्चिमी देश हैं।
उद्देश्य: जी-7 वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता पर केंद्रित है, जबकि ब्रिक्स पश्चिमी वर्चस्व को कम करने और विकासशील देशों की आवाज बढ़ाने पर जोर देता है।
वैचारिक आधार: जी-7 लोकतांत्रिक देशों का समूह है, जबकि ब्रिक्स में लोकतांत्रिक से लेकर अधिनायकवादी शासन शामिल हैं।
प्रभाव: जी-7 वित्तीय संस्थानों (IMF, विश्व बैंक) पर नियंत्रण रखता है, जबकि ब्रिक्स वैकल्पिक व्यवस्था, जैसे न्यू डेवलपमेंट बैंक, बना रहा है।
जनसंख्या और अर्थव्यवस्था की तुलना
जी-7 और ब्रिक्स की जनसंख्या और अर्थव्यवस्था की तुलना वैश्विक शक्ति संतुलन को समझने के लिए महत्वपूर्ण है:
जनसंख्या (2025 अनुमान):
जी-7: लगभग 77 करोड़। इसमें अमेरिका (34 करोड़), जापान (12.5 करोड़), और यूरोपीय देश शामिल हैं।
ब्रिक्स: लगभग 330 करोड़। इसमें भारत (145 करोड़), चीन (140 करोड़), और नए सदस्य जैसे इथियोपिया (12 करोड़) शामिल हैं। ब्रिक्स की जनसंख्या जी-7 से चार गुना ज्यादा है।
अर्थव्यवस्था (नाममात्र जीडीपी, 2025 अनुमान):
जी-7: कुल जीडीपी 48 ट्रिलियन डॉलर। अमेरिका (28 ट्रिलियन), जापान (4.5 ट्रिलियन), और जर्मनी (4.2 ट्रिलियन) प्रमुख हैं। वैश्विक जीडीपी में हिस्सेदारी 2000 के 40% से घटकर 28.43% हो गई है।
ब्रिक्स: कुल जीडीपी 30 ट्रिलियन डॉलर। चीन (18 ट्रिलियन) और भारत (4 ट्रिलियन) मुख्य योगदानकर्ता हैं। वैश्विक जीडीपी में हिस्सेदारी 28-29% है।
क्रय शक्ति समता (PPP):
ब्रिक्स का हिस्सा 41% से अधिक है, जो जी-7 (लगभग 29%) से बड़ा है।
1992 में ब्रिक्स का हिस्सा 16.7% था, जो 2023 तक बढ़कर 37.4% हो गया। 2030 तक यह 40% से अधिक होने का अनुमान है।