शिमला में मस्जिद के खिलाफ हिन्दूवादियों का प्रदर्शन
संजौली मस्जिद का विवाद तब उभरा जब कुछ हिंदू संगठनों ने इसके अवैध निर्माण का आरोप लगाया। उनका कहना था कि मस्जिद का निर्माण बिना प्रशासनिक मंजूरी के हुआ और इसे एक मंजिला से पांच मंजिला तक बढ़ा दिया गया। इस मुद्दे ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा का ध्यान भी आकर्षित किया, जहां ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने इसकी जांच की मांग की।
प्रशासन ने विवाद को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाए। बुधवार को जब मस्जिद के खिलाफ हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन किया, तो शिमला में तनाव बढ़ गया। विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस को लाठीचार्ज और वाटर कैनन का इस्तेमाल करना पड़ा। दो व्यक्तियों की गिरफ्तारी भी हुई। जिला दंडाधिकारी ने संजौली क्षेत्र में सभी प्रकार के धार्मिक और भड़काऊ गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया।
राजनीतिक दृष्टिकोण
अब इस विवाद ने राजनीतिक रंग ले लिया है। कांग्रेस और बीजेपी नेताओं के बयान इस मामले को और भड़का रहे हैं। कांग्रेस विधायक हरीश जनारथा का कहना है कि मस्जिद का निर्माण 1960 से पहले हुआ था, लेकिन अवैध विस्तार 2010 में हुआ। वहीं, मुख्यमंत्री सुक्खू ने इसे सांप्रदायिक मुद्दे के रूप में न देखने की अपील की है।
अदालत की प्रतिक्रिया: संजौली मस्जिद विवाद अदालत में है, जहां मस्जिद प्रबंधन से इसके विस्तार के बारे में सवाल किया गया है। स्थानीय निवासियों का दावा है कि इस विस्तार से सामाजिक तनाव और सुरक्षा खतरे पैदा हो रहे हैं।
संजौली मस्जिद विवाद का चुनावी महत्व
संजौली मस्जिद विवाद का संबंध जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों से भी जोड़ा जा रहा है। वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक महादेव चौहान का मानना है कि इस समय इस विवाद को उठाने का एक अहम उद्देश्य हिंदू मतदाताओं का ध्रुवीकरण करना है, जिसका सीधा लाभ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को मिल सकता है। अनुच्छेद 370 हटने के बाद राज्य में हो रहे पहले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इस विवाद को एक संवेदनशील मुद्दा बनाकर उभरा जा रहा है, जिसे बीजेपी अपने पक्ष में इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही है।
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव
जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव तीन चरणों में होंगे – 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को होंगे। चुनावों के नतीजे 4 अक्टूबर को हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणामों के साथ घोषित होंगे। 2018 में पीडीपी-बीजेपी गठबंधन सरकार गिरने के बाद से यहाँ कोई निर्वाचित सरकार नहीं रही है।
चुनावों पर विवाद का असर: संजौली मस्जिद विवाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। राज्य में अनुच्छेद 370 हटने और इसे संघ शासित प्रदेश बनाये जाने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर में सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो गई है, जिनमें से जिसमें जम्मू क्षेत्र में 6 नई सीटें जुड़ी हैं और अब वहां कुल 43 सीटें हो गयी हैं।
जम्मू-कश्मीर में चुनाव और हिमाचल प्रदेश
जम्मू-कश्मीर में पहला चुनाव और संजौली मस्जिद विवाद
चुनावों पर संजौली मस्जिद विवाद का असरः यदि संजौली मस्जिद विवाद के चलते हिंदू मतदाता जम्मू क्षेत्र में एकजुट होते हैं, तो हिंदू बहुसंख्यक सीटों पर बीजेपी की पकड़ और मजबूत हो सकती है। वैसे भी अनुच्छेद 370 हटने के बाद से बीजेपी ने राष्ट्रवाद, सुरक्षा और धार्मिक ध्रुवीकरण जैसे मुद्दों पर अपनी स्थिति मजबूत की है, जिसका लाभ उसे जम्मू में मिल सकता है। बीजेपी के चुनाव प्रभारी राम माधव का दावा है कि बीजेपी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरेगी और अगली सरकार राष्ट्रवादियों की बनेगी। उन्होंने जम्मू रीजन में 35 सीटें और कश्मीर में 10 सीटें जीतने यानी 35:10 का फॉर्मूला पेश किया है।
अन्य पार्टियों की स्थिति
जम्मू के मुस्लिम बहुल जिले और बीजेपी की चुनौती
कश्मीर घाटी में बीजेपी की स्थिति:
हिंदू मतदाताओं का ध्रुवीकरण और बीजेपी की संभावनाएं
लेखक जम्मू-कश्मीर मामलों के अध्येता, ‘घाटी में आतंक और कारगिल’ नामक पुस्तक के लेखक, पत्रकार व इंडियन थॉट लीडर्स फोरम के अध्यक्ष हैं।)