सत्तारुढ़ दलों ने मुसलमानों का इस्तेमाल वोट बैंक के रूप में बखूबी किया हो लेकिन आलोचकों के अनुसार मुसलमानों की तालीम और उनकी तरक्की पर कोई ख़ास तवज्जो नहीं दी गयी। बिहार की राजधानी पटना से लगभग 300 किलोमीटर दूर स्थित अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) का किशनगंज कैंपस इसका जीता-जागता उदाहरण है।

बीएड की मान्यता साल 2018 में ही समाप्त हो चुकी है जिसे फिर से स्वीकृत नहीं कराया जा सका है। शिलान्यास के छह साल बाद भी यह कैंपस किराये के दो सरकारी भवनों में ही चल रहा है।
वर्ष 2013 में शुरू हुआ यह कैंपस आज तक पूरी तरह नहीं बन सका है। कैंपस के निदेशक डॉ. हसन इमाम बताते हैं कि फिलहाल कैंपस में सिर्फ़ 46 छात्र- छात्राएं हैं और यहां बीएड का कोर्स समाप्त हो चुका है। चुनाव के मौक़े पर कैंपस की बदहाली का मुद्दा चर्चा में है।