बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चाहें या न चाहें, पर विधानसभा चुनाव में बेरोज़गारी एक मुद्दा बन ही गया है। राष्ट्रीय जनता दल ने शनिवार को जारी घोषणा पत्र में औपचारिक रूप से यह कहा गया है कि उसकी सरकार बनी तो 10 लाख लोगों को रोज़गार दिया जाएगा।

इसके पहले ही आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा था कि उनकी सरकार बनी तो पहली कैबिनेट बैठक में ही वह 10 लाख लोगों को रोज़गार देने से जुड़ी फ़ाइल पर दस्तखत कर देंगे।

85% नौकरी बिहारियों को

राष्ट्रीय जनता दल के घोषणा पत्र की सबसे अहम बात यही है। इसके अलावा उसने सरकारी नौकरियों में डोमिसाइल नीति लागू करने का भी वादा करते हुए कहा है कि इसके तहत राज्य सरकार की नौकरियों में बिहार के युवाओं को 85 फ़ीसदी का आरक्षण दिया जाएगा।

घोषणा पत्र जारी करते हुए आरजेडी नेता मनोज झा ने सफाई दी कि हालांकि वह दूसरे राज्यों में इस तरह के आरक्षण का विरोध करते हैं, लेकिन बिहार के लिए यह नीति सही है क्योंकि इस राज्य में संसाधनों की भारी किल्लत है।

ये दोनों ही बातें महत्वपूर्ण इसलिए है कि बीजेपी खुल कर बिहार के लोगों को बिहार में आरक्षण देने का विरोध नहीं कर सकती है। दूसरे राज्यों में भी पार्टी की सरकार है, संगठन है, वहां उसे इस पर सवालों के जवाब देने होंगे। एक तरह से यह आरजेडी की राजनीतिक चाल है क्योंकि बिहार के बाहर उसका कहीं बड़ा संगठन नहीं है।

रक्षात्मक मुद्रा में सरकार

रोजग़ार के मुद्दे पर बड़ा एलान कर तेजस्वी यादव ने बीजेपी और जनता दल यूनाइटेड दोनों को ही रक्षात्मक मुद्रा में ला खड़ा किया है। पहले तो जदयू नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसका मजाक उड़ाते हुए सवाल किया था कि इसके लिए पैसा क्या जेल से आएगा। उनका तंज समझा जा सकता है क्योंकि तेजस्वी के पिता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव फिलहाल चोरा घोटाले में जेल में हैं।

लेकिन जब तेजस्वी अपनी बात पर अड़े रहे और चुनाव सभाओं में इसे दुहराने लगे तो बिहार बीजेपी ने कहा कि वह तो 19 लाख लोगों को रोज़गार देगी। अब नीतीश कुमार इस मुद्दे पर चुप हैं।

लेकिन राज्य बीजेपी के लिए भी राह आसान नहीं है क्योंकि उससे पूछा जा सकता है कि सालाना 2 करोड़ रोज़गार के वायदे का क्या हुआ। मोदी स्वयं चुनाव प्रचार में कूद चुके हैं और यह सवाल तो बनता है, खास कर तब उनकी ही पार्टी एक बार फिर लाखों रोज़गार का वादा कर रही है।

बेरोज़गारी भत्ता

आरजेडी ने बेरोजगारी के मुद्दे को आगे बढ़ाते हुए कहा कि उनकी सरकार 35 साल तक की उम्र के लोगों को मासिक 1,500 रुपए तक का बेरोज़गारी भत्ता भी देगी।

आरजेडी घोषणा पत्र में यह भी कहा गया है कि  5 लाख रुपए तक के शिक्षा क़र्ज़ को सरकार माफ़ कर देगी। यह बड़ी बात इसलिए है कि बिहार के हज़ारों बच्चे हर साल इंजीनियरिंग या दूसरे कोर्सों में दाखिला लेकर राज्य के बाहर पढ़ने चले जाते हैं। इसमें से लगभग सभी क़र्ज़ लेकर ही जाते हैं। यह एलान इसलिए भी अहम है कि बीते कुछ समय से बैंक शिक्षा क़र्ज़ देने में टाल मटोल करने लगे हैं क्योंकि कई बार उसका भुगतान समय से नहीं होता है, वह एनपीए बन जाता है।

भावनात्मक मुद्दों के सामने ज़मीनी मुद्दे उठा कर क्या तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री को घेर लिया है? देखें वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष क्या सोचते हैं। 

दलित

आरजेडी का कहना है कि उनकी सरकार पिछड़ी जाति और दलित समाज के उन बच्चों को मुफ़्त लैपटॉप देगी जो 12वीं  में 80 फ़ीसदी अंक हासिल करेंगे। ज़ाहिर है, उसका लक्ष्य दलित समाज और दूसरे दलों के वोटरों को लुभाना है।

बिहार को विशेष दर्जा

आरजेडी नेता मनोज झा ने यह भी एलान किया कि सरकार में आते ही बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग केंद्र से की जाएगी। उन्होंने ज़ोर देकर कहा, 

'अब हम खैरात नहीं मांगेंगे। सरकार बनने के दो महीने के भीतर विधानसभा से बिल पारित कराकर हम फिर से आवेदन देंगे और विशेष राज्य का दर्जा मिलने तक आमरण अनशन करेंगे।'

यह एलान राजनीतिक रूप से बहुत ही अहम है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पटना के गांधी मैदान में 1.25 लाख करोड़ रुपए के विशेष बिहार पैकेज का एलान किया था। उस समय नीतीश बीजेपी के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ रहे थे।

बीजेपी ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया था। उसके बाद अब तक किसी ने नहीं कहा है कि इसमें से कितने पैसे बिहार को मिले। मुख्य मंत्री नीतीश कुमार भी इस पर चुप हैं।

इसी तरह आरजेडी के घोषणा पत्र में किसानों का क़र्ज़ माफ़ करने का वायदा भी किया गया है। पर इसमें यह साफनहीं है कि कितने तक का क़र्ज़ माफ़ हो सकता है। इसी तरह संविदा पर रखे गए लोगों को नियमित करने का वायदा किया गया है, नीतीश कुमार इससे साफ इनकार कर चुके हैं।

चुनाव घोषणा पत्र निश्चित तौर पर सरकार और सत्तारूढ़ दल को रक्षात्मक मुद्रा में खड़ा कर देगा, हालांकि स्वयं आरजेडी उसे कितना लागू कर सकता है, यह सवाल भी उठता है।