जेडीयू के मुखिया नीतीश कुमार ने सोमवार को एक बार फिर बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
जेडीयू के मुखिया नीतीश कुमार ने एक बार फिर बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है। सोमवार को राज्यपाल फागू चौहान ने उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। उनकी यह सातवीं और लगातार चौथी शपथ थी। रविवार को एनडीए विधायकों की बैठक में उन्हें विधायक दल का नेता चुना गया था। शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी पटना पहुंचे।
नीतीश कुमार के बाद तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी ने शपथ ली। प्रसाद को रविवार को बीजेपी विधायक दल का नेता जबकि रेणु देवी को उपनेता चुना गया था। प्रसाद कटिहार से आते हैं जबकि रेणु देवी बेतिया से आती हैं। इन दोनों को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है।
इसके बाद विजय कुमार चौधरी, विजेंद्र यादव, अशोक चौधरी, मेवालाल चौधरी, शीला मंडल ने मंत्री पद की शपथ ली। ये सभी नेता जेडीयू के हैं और इन्हें सियासी कामकाज का अच्छा अनुभव है।
इसी क्रम में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बेटे और एमएलसी संतोष सुमन, विकासशील इंसान पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी ने मंत्री पद की शपथ ली। बीजेपी विधायक मंगल पांडेय, अमरेंद्र प्रताप सिंह, रामप्रीत पासवान, जीवेश मिश्रा, राम सूरत राय भी नीतीश के मंत्रिमंडल में शामिल हुए।
एनडीए विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रविवार को पटना पहुंचे थे। एनडीए में बीजेपी और जेडीयू के अलावा हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और विकासशील इंसान पार्टी भी शामिल हैं। इन सभी दलों के विधायकों की मौजूदगी में ही नीतीश को नेता चुना गया था। इससे पहले नीतीश को जेडीयू विधायक दल का नेता भी चुन लिया गया था।
आरजेडी, कांग्रेस ने किया बहिष्कार
बहुमत के लिए ज़रूरी 122 सीटों के आंकड़े से कुछ ही दूर रहे महागठबंधन ने शपथ ग्रहण कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया। आरजेडी ने कहा कि बदलाव का जनादेश एनडीए के विरुद्ध है और जनादेश को 'शासनादेश' से बदल दिया गया। सुशील मोदी नाराज़!
तारकिशोर प्रसाद को बीजेपी विधायक दल का नेता चुनने की ख़बर के बाद सुशील मोदी ने ट्वीट कर अपनी नाराज़गी का इजहार किया। ख़ुद को दी गई जिम्मेदारियों के लिए बीजेपी व संघ परिवार का आभार व्यक्त करते हुए सुशील मोदी ने कहा, ‘कार्यकर्ता का पद तो कोई छीन नहीं सकता।’ इसका सीधा मतलब यही है कि सुशील मोदी लोगों को बताना चाहते हैं कि उनसे डिप्टी सीएम का पद छीना गया है।
सुशील मोदी के इस ट्वीट पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का जवाब आया। गिरिराज ने उनसे कहा, ‘आगे भी आप बीजेपी के नेता रहेंगे, पद से कोई छोटा बड़ा नहीं होता।’
जेडीयू का ख़राब प्रदर्शन
चुनाव से पहले यह सवाल लगातार उठता रहा था कि अगर जेडीयू की सीटें कम हुईं तो तब भी क्या नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री होंगे, बीजेपी नेताओं ने इसके जवाब में नड्डा और अमित शाह का ही बयान दोहराया था। इस बयान में जेडीयू की सीटें कम आने की हालात में भी नीतीश को ही मुख्यमंत्री बनाने की बात कही गई थी। चुनाव नतीजों में जेडीयू बीजेपी से 31 सीटें पीछे रह गई है। जेडीयू को इस बार 43 सीटें मिली हैं, जो 2005 के बाद उसका सबसे ख़राब प्रदर्शन है। इससे ज़्यादा चिंतित करने वाली बात नीतीश कुमार के लिए यह है कि जेडीयू राज्य में तीसरे नंबर की पार्टी बन गई है और बीजेपी और आरजेडी से कोसों दूर है। हालांकि पार्टी के नेता इसके लिए एलजेपी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान भी तमाम चैनलों की रिपोर्टिंग के दौरान यह बात सामने आई थी कि राज्य में नीतीश कुमार से लोगों की नाराजगी बढ़ी है।
बिहार के चुनाव नतीजों वाले दिन एक-एक सीट को लेकर दिन भर जोरदार लड़ाई चली और देर रात को नतीजे घोषित हो सके। नतीजों में नीतीश कुमार की अगुवाई वाले एनडीए को 125 सीटें मिली हैं, जबकि
तेजस्वी की क़यादत वाला महागठबंधन 110 सीटों पर अटक गया। अगर उसे 12 सीटें और मिल जातीं तो महागठबंधन सरकार बना लेता।
देखिए, चुनाव नतीजों पर चर्चा-
तेजस्वी चुनाव आयोग पर हमलावर
बिहार के चुनावी घमासान में बेहद कम अंतर से सरकार बनाने से चूके आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव ने चुनाव नतीजों के बाद
चुनाव आयोग पर हमला बोला था। तेजस्वी ने कहा था कि जनता ने अपना फ़ैसला सुनाया है और चुनाव आयोग ने अपना नतीजा सुनाया है। उन्होंने कहा कि जनता का फ़ैसला महागठबंधन के पक्ष में है जबकि चुनाव आयोग का नतीजा एनडीए के पक्ष में है। इससे पहले आरजेडी विधायक दल की बैठक में तेजस्वी यादव को विधायक दल का नेता चुना गया था।
उन्होंने चुनाव आयोग पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि बीजेपी के प्रकोष्ठ ने तमाम कोशिशें की लेकिन फिर भी वह आरजेडी को बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बनने से नहीं रोक सका।
बिहार में महागठबंधन की मामूली हार का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ा जा रहा है। उसे इस बात के लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है कि उसके
ख़राब प्रदर्शन के कारण ही महागठबंधन पिछड़ गया और एनडीए को सत्ता में आने का मौक़ा मिल गया। कांग्रेस राजनीतिक विश्लेषकों के निशाने पर भी है।
इसके साथ ही पार्टी नेताओं के भीतर निराशा भी दिखाई देने लगी है। कांग्रेस में फ़ैसले लेने वाली सर्वोच्च संस्था कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य तारिक़ अनवर ने इस बात को स्वीकार किया है कि पार्टी के ख़राब प्रदर्शन के कारण ही महागठबंधन बहुमत के आंकड़े से दूर रह गया।