चार अक्टूबर को जब पूरा बिहार दुर्गा पूजा की धूम में व्यस्त था पटना हाइकोर्ट ने छुट्टी के दिन नगर निकाय चुनावों के बारे में एक ऐसा फैसला सुनाया कि बिहार की राजनीति में आरक्षण का मुद्दा गर्म हो गया। रोचक बात यह है कि इस बहस में लालू प्रसाद की पार्टी ओझल है और भारतीय जनता पार्टी नीतीश कुमार और जनता दल यूनाइटेड पर जबरदस्त तरीके से हमलावर है।

पटना हाई कोर्ट के द्वारा बिहार के स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी और ईबीसी के लिए सीटों के आरक्षण को अवैध करार देने के बाद राज्य में इसे लेकर कैसी प्रतिक्रिया है?
एक जमाना वह भी था जब नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद और आरजेडी के एमवाई समीकरण का तोड़ निकालने के लिए भाजपा से हाथ मिलाने के साथ-साथ पिछड़े वर्ग की राजनीति में नए समीकरण बनाकर उन्हें पिछड़ा और अति पिछड़ा में बांट कर अपनी राजनीति चमकाई थी।
भाजपा से अलग होकर नीतीश कुमार ने लालू की पार्टी से हाथ मिलाकर सरकार बना ली तो स्थानीय चुनाव में आरक्षण पर पटना हाईकोर्ट के एक आदेश से उनकी अति पिछड़े की राजनीति एक बार फिर चर्चा में आ गयी है।