हरियाणा कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार मंगलवार को चंडीगढ़ में अपने आवास में मृत पाए गए। उनके सिर में गोली लगी थी। पुलिस ने इसे आत्महत्या का मामला मानते हुए जाँच शुरू कर दी है। 2001 बैच के अधिकारी पूरन कुमार जातिगत भेदभाव, प्रमोशन में अनियमितताएँ और प्रशासनिक पारदर्शिता जैसे मुद्दों पर हमेशा मुखर रहे।

मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि पूरन कुमार ने कुर्सी पर बैठे-बैठे अपनी सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मार ली। इस घटना को अंजाम देने से पहले उन्होंने अपने सभी सुरक्षाकर्मियों को परिसर से बाहर जाने का निर्देश दिया और फिर बेसमेंट में जाकर एक कुर्सी पर बैठकर गोली चला दी। पुलिस भी शुरुआती तौर पर ऐसा ही मानती है। रिपोर्टों के अनुसार दोपहर करीब 1:30 बजे सेक्टर-11 थाने को सूचना मिली कि हाउस नंबर 116 में एक संदिग्ध आत्महत्या हुई है। एसएचओ और उनकी टीम ने मौक़े का मुआयना किया। पूरन कुमार की बेटी ने बेसमेंट का दरवाजा खोला तो उन्हें खून से सना शव मिला। रिपोर्टों के अनुसार सोमवार को उन्होंने अपने गनमैन से हथियार लिया था।
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सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी यानी सीएफएसएल की टीम ने मौक़े से पूरन कुमार के मोबाइल फोन, दस्तावेज और अन्य सामान जब्त कर लिए हैं। फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतज़ार है। पुलिस निजी और पेशेवर दोनों पहलुओं की जाँच कर रही है। पूरन कुमार की पत्नी अमनीत पी. कुमार हरियाणा की वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं और वह उस वक़्त जापान में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली आधिकारिक प्रतिनिधि मंडल के साथ थीं।

एक मुखर अधिकारी की पहचान

आंध्र प्रदेश के मूल निवासी पूरन कुमार ने हरियाणा के अंबाला, कुरुक्षेत्र समेत कई जिलों में सेवा दी। वे अंबाला और रोहतक रेंज के इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस यानी आईजीपी रह चुके थे, साथ ही होम गार्ड्स, टेलीकॉम, डायल-112 इमरजेंसी रिस्पॉन्स प्रोजेक्ट जैसे महत्वपूर्ण विभागों का नेतृत्व किया। 

पूरन कुमार अनुसूचित जाति यानी एससी वर्ग से थे और पुलिस रैंकों में एससी प्रतिनिधित्व के मुद्दे पर खुलकर बोलते थे।

हरियाणा सरकार से विवाद 

पूरन कुमार को पिछले महीने ही 29 सितंबर को उनको पुलिस प्रशिक्षण केंद्र, सुनारिया (रोहतक) में आईजीपी के पद पर तैनात किया गया था। कहा जा रहा है कि इस पद से वह खुश नहीं थे। हाल के वर्षों में पूरन कुमार हरियाणा सरकार के साथ कई प्रशासनिक और प्रक्रियागत विवादों में उलझे रहे। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल 2024 में उन्होंने अपनी आधिकारिक गाड़ी राज्य पुलिस विभाग को लौटा दी थी और अपने पद और हकदारी के अनुसार दूसरे वाहन की मांग की थी। तत्कालीन चीफ सेक्रेटरी टी.वी.एस.एन. प्रसाद को लिखे पत्र में उन्होंने आईपीएस अधिकारियों को भेदभावपूर्ण और चुनिंदा रूप से वाहन आवंटन का आरोप लगाया। उस समय वे आईजीपी (टेलीकॉम) थे और डायल-112 प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर रहे थे।

अंग्रेज़ी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार 2024 में उन्होंने 1991, 1996, 1997 और 2005 बैच के आईपीएस अधिकारियों के प्रमोशन पर सवाल उठाए। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को पत्र लिखकर उन्होंने कहा कि ये प्रमोशन गैरकानूनी हैं, क्योंकि ये केंद्रीय गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हैं और केवल वित्त विभाग की सहमति पर आधारित हैं। पत्र में उन्होंने उल्लेख किया, '11 अक्टूबर 2022 को मैंने होम विभाग के तत्कालीन एडिशनल चीफ सेक्रेटरी टी.वी.एस.एन. प्रसाद को प्रतिनिधित्व सौंपा था, जिसमें 2001 बैच के अधिकारियों को डीआईजी रैंक पर प्रमोशन की मांग की गई थी।' उन्होंने वेतन पुनर्निर्धारण और बकाया भुगतान की भी मांग की।
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जातिगत भेदभाव के आरोप 

पूरन कुमार ने आरोप लगाया कि उनका प्रतिनिधित्व इसलिए नज़रअंदाज़ किया गया क्योंकि वे और उनके बैचमेट एससी वर्ग से हैं। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि होम विभाग में कानूनी राय की ज़रूरत न होने पर भी फाइलें अनावश्यक रूप से कानूनी अधिकारियों को भेजी जाती हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि 1997 बैच के आईपीएस अधिकारियों का वेतन पहले ही तय कर दिया गया और अग्रिम इंक्रीमेंट दिए गए, जबकि उनके प्रमोशन में देरी हुई।

रिपोर्ट के अनुसार 2024 में उन्होंने दो महीने से कम समय में एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के खिलाफ उत्पीड़न और अपमान की पांच शिकायतें दर्ज कराईं। उन्होंने 8 फरवरी को उनके आरोपों की जांच के लिए तीन पूर्व आईएएस अधिकारियों वाली समिति गठन पर आपत्ति जताई। मार्च 2023 में उन्हें आईजीपी (होम गार्ड्स) बनाया गया, लेकिन अक्टूबर 2023 में तत्कालीन चीफ सेक्रेटरी संजीव कौशल को पत्र लिखकर कहा कि यह राज्य में कैडर पोस्ट नहीं है। पूरन कुमार ने आरोप लगाया कि 'हरियाणा में आईजीपी रैंक के खाली कैडर पदों के बावजूद उन्हें यह पद देकर सार्वजनिक रूप से अपमानित और उत्पीड़ित किया जा रहा है, जो सात महीनों से अधिक समय से चल रहा है।'

चंडीगढ़ पुलिस ने आवास को सील कर दिया है और फॉरेंसिक जांच जारी है। अभी तक कोई आधिकारिक बयान कारण या मकसद पर नहीं आया है। परिवार ने कोई टिप्पणी नहीं की।