loader
प्रतीकात्मक और फाइल फोटो

चीन के बाद भारत क्यों आ रहे अरब और मुस्लिम देशों के विदेश मंत्री ?

गजा में युद्ध रोकने और शांति बहाली के लिए सऊदी अरब के नेतृत्व में कूटनीतिक प्रयास तेज हो चुके हैं। अमेरिका से निराश होकर सऊदी अरब और मुस्लिम देश चीन और भारत जैसे अन्य बड़े देशों से उम्मीद कर रहे हैं कि वे अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर गजा युद्ध को रोकने में मदद करें। 
इस मकसद से इन देशों के विदेश मंत्रियों ने पिछले दिनों चीन का दौरा कर दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रमुख अरब और मुस्लिम देशों के विदेश मंत्रियों का एक प्रतिनिधिमंडल अब भारत के दौरे पर आ रहा है। 
पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव और इजराइल- हमास के बीच जारी जंग के बीच इस दौरे का वैश्विक राजनीति में कई मायने हैं। भारत अब विश्व की बड़ी शक्ति बन चुका है। भारत की इजरायल और अमेरिका से अच्छी दोस्ती है। 
भारत का फिलिस्तीन और अरब - मुस्लिम देशों से भी अच्छे रिश्ते हैं। यही कारण है कि ये देश भारत के दौरे पर आ कर भारत का समर्थन हासिल करना चाहते हैं। 
उन्हें भरोसा है कि वैश्विक राजनीति में अब सिर्फ अमेरिका के भरोसे रहने से उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होगा। इसलिए वे इजरायल को गजा में युद्ध रोकने के लिए तैयार करने में भारत से बड़ी भूमिका निभाने की अपील करेंगे। भारत दक्षिण एशिया की बड़ी ताकत है और अरब देश चाहते हैं कि भारत सरकार पश्चिम एशिया में अपने प्रभाव का इस्तेमाल करे। 
ताजा ख़बरें

सऊदी अरब के विदेश मंत्री कर रहे नेतृत्व

इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद  करेंगे। इसके साथ ही इसमें जॉर्डन के उप प्रधानमंत्री अयमान सफादी, मिस्र के विदेश मंत्री सामेह शौक्री और फिलिस्तीन के विदेश मंत्री रियाद अल मालिकी शामिल होंगे।
 प्राप्त सूचना के मुताबिक यह दौरा इसी हफ्ते के आखिर में हो सकता है।मीडिया रिपोर्ट्स में यह जानकारी दी गई है कि भारम में इस दौरान पश्चिम एशिया के हालात के अलावा इजराइल और हमास की जंग पर खास तौर से चर्चा होगी। आ रहे प्रतिनिधिमंडल की भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर से मुलाकात होगी। माना जा रहा है कि बातचीत के दो से अधिक राउंड हो सकते हैं।
 मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि भारत साउथ एशिया की बड़ी ताकत है और अरब देश चाहते हैं कि भारत सरकार पश्चिम एशिया में अपने प्रभाव का इस्तेमाल करे। एक वजह यह भी है कि भारत के इजराइल और फिलिस्तीन दोनों से करीबी रिश्ते हैं।

प्राप्त सूचना के मुताबिक भारत दौरे के बाद यही प्रतिनिधिमंडल कुछ और देशों का भी दौरा कर सकता है। अरब देशों की कोशिश है कि इजराइल-फिलिस्तीन मसले का कोई ऐसा समाधान निकाला जाए जो दोनों पक्षों को स्वीकार हो और इस क्षेत्र में स्थाई तौर पर शांति बहाल हो सके।   

देश से और खबरें

सोमवार को चीन में जुटे थे अरब-मुस्लिम देश 

अरब और मुस्लिम देश गजा में इजरायली कार्रवाई को नहीं रोक पाने के कारण अमेरिका से नाराज हैं। गजा में युद्ध रोकने के लिए उनकी ओर से कूटनीतिज्ञ प्रयास किये जा रहे हैं। उनकी इस नाराजगी का फायदा चीन उठाने की कोशिश कर रहा है। 
चीन का प्रयास है कि वह मध्य पूर्व के देशों में अमेरिका की जगह खुद को स्थापित कर ले। इसके लिए वह अरब-मुस्लिम देशों से अपनी नजदीकी बढ़ा रहा है। गजा युद्ध के कारण अमेरिका से नाराज होकर अरब-मुस्लिम देश भी चीन के करीब जाते दिख रहे हैं। 

अरब-मुस्लिम देशों का एक सम्मेलन चीन की राजधानी बीजिंग में सोमवार से शुरु हुआ था जो कि मंगलवार को भी जारी रहा। इस सम्मेलन में कई अरब और मुस्लिम देश शामिल हुए। इसमें गजा में युद्ध रोकने और शांति की बहाली की मांग की गई थी। 

समाचार एजेंसी रायटर के मुताबिक अरब और मुस्लिम देशों के मंत्रियों ने सोमवार को गाजा में तत्काल युद्धविराम का आह्वान किया था। इस मौके पर कहा गया था कि फिलिस्तीनी लोगों को मानवीय सहायता पहुंचाने और इस दुश्मनी को खत्म करने की आवश्यकता है।  

सोमवार को चीन के शीर्ष राजनयिक वांग यी के साथ सऊदी अरब, जॉर्डन, मिस्र, इंडोनेशिया, फिलिस्तीन और इस्लामिक सहयोग संगठन समेत कई अन्य देशों के विदेश मंत्रियों और उनके प्रतिनिधियों ने बैठक की थी। 

रायटर की रिपोर्ट बताया गया था कि अपनी मांगों को लेकर यह प्रतिनिधिमंडल, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से प्रत्येक का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिकारियों से मिलने के लिए तैयार है। ये देश इजरायल के द्वारा आत्मरक्षा के नाम पर किये जा रहे कार्यों के औचित्य को अस्वीकार करने के लिए भी पश्चिम पर भी दबाव डाल रहे हैं।

इस सम्मेलन में सऊदी विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद ने कहा था कि "हम यहां एक स्पष्ट संकेत भेजने के लिए हैं: यानी हमें तुरंत लड़ाई और हत्याएं रोकनी चाहिए, हमें तुरंत गाजा में मानवीय आपूर्ति पहुंचानी चाहिए।"  
इससे पहले इस महीने रियाद में काफी बड़े स्तर पर संयुक्त इस्लामिक-अरब शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था। इसमें अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय से फिलिस्तीनी क्षेत्रों में "इजरायल द्वारा किए जा रहे युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों" की जांच करने काआग्रह इन देशों की ओर से किया गया था। 
माना जा रहा है कि इजरायल और फिलिस्तीन के बीच गजा में चल रहे युद्ध को रोकने में अब तक अरब-मुस्लिम देश नाकाम रहे हैं। उनकी लाख कोशिशों के बावजूद गजा में इजरायली कार्रवाई नहीं रुक रही है। अब इसी कड़ी में सऊदी अरब शांति लाने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका और इज़राइल पर दबाव बनाने की रणनीति पर काम कर रहा है। इस मकसद से सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अरब और मुस्लिम नेताओं को इकट्ठा किया है। 
रायटर की रिपोर्ट के मुताबिक चीन में हुए इस सम्मेलन में मिस्र के विदेश मंत्री समेह शौकरी ने अपने चीनी समकक्ष से कहा था कि फिलिस्तीनियों के खिलाफ हमलों को रोकने के लिए हम चीन जैसी महान शक्तियों की ओर से एक मजबूत भूमिका की आशा करते हैं। उन्होंने कहा है कि गजा पट्टी में। दुर्भाग्य से, ऐसे प्रमुख देश हैं जो वर्तमान इजरायली हमलों को कवर देते हैं। उनका इशारा साफ तौर पर अमेरिका की ओर था। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें