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बृजभूषण को बड़ी राहतः पुलिस चार्जशीट में मामला रद्द करने की सिफारिश

दिल्ली पुलिस ने भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ 'नाबालिग' मामले में आज 15 जून को 500 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक पुलिस ने नाबालिग द्वारा सिंह के खिलाफ दायर यौन उत्पीड़न के मामले को रद्द करने की सिफारिश की है और दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट को बताया कि जांच में कोई सबूत नहीं मिला है। दिल्ली पुलिस के इस स्टैंड से अब बृजभूषण पर से पॉक्सो एक्ट की धाराएं खत्म हो सकती है। लेकिन बाकी महिला पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न और उनका पीछा करने के मामले में भाजपा सांसद को आरोपों का सामना करना पड़ेगा। लेकिन नाबालिग के आरोपों के मामले में उन्हें बड़ी राहत तो मिल ही गई है।

भाजपा सांसद के खिलाफ दिल्ली के कनॉट प्लेस थाने दो एफआईआर दर्ज की गई थी। दूसरी एफआईआर नाबालिग पहलवान की शिकायत पर थी। इस मामले की अगली सुनवाई 4 जुलाई को होगी।  

 

पॉक्सो मामले में, जांच पूरी होने के बाद, हमने सीआरपीसी की धारा 173 के तहत एक पुलिस रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसमें शिकायतकर्ता के बयानों के आधार पर मामले को रद्द करने का अनुरोध किया गया है।


-सुमन नलवा, पीआरओ, दिल्ली पुलिस 15 जून 2023 सोर्सः पीटीआई

हाल ही में खिलाड़ियों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। वहां क्या तय हुआ, कोई नहीं जानता लेकिन यह बात जरूर सामने आई कि शाह ने खिलाड़ियों को केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से मुलाकात करने को कहा था। खेल मंत्री ठाकुर ने पिछले सप्ताह ओलंपिक पदक विजेता पहलवान बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक से मुलाकात की थी और उन्हें आश्वासन दिया था कि मामले में आरोप पत्र 15 जून तक दाखिल कर दिया जाएगा। इस आश्वासन के बाद पहलवानों ने अपना विरोध प्रदर्शन स्थगित कर दिया था।

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एनडीटीवी की खबर के मुताबिक दिल्ली पुलिस ने सिंह से जुड़े कथित यौन उत्पीड़न की घटनाओं के बारे में पांच देशों के कुश्ती महासंघों से जानकारी मांगी है। जांच दल ने टूर्नामेंट और उन जगहों से तस्वीरें, वीडियो और सीसीटीवी फुटेज मांगे हैं जहां पहलवान अपने मैचों के दौरान रुके थे। जांच के दौरान दिल्ली पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) ने 180 से अधिक लोगों से पूछताछ की। 
यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के तहत दिल्ली पुलिस पिछले शुक्रवार को एक महिला पहलवान को बृजभूषण सिंह के दफ्तर ले गई। पहलवान के साथ महिला पुलिस अधिकारियों की एक टीम भी थी। सिंह के आधिकारिक निवास से ही भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) का दफ्तर चल रहा था।

क्या मामला कमजोर हुआः दिल्ली पुलिस ने बृज भूषण के खिलाफ POCSO मामले में रद्द करने की रिपोर्ट दायर की है, जो नाबालिग के पिता के आरोपों पर आधारित थी। बाद में यौन उत्पीड़न के आरोपों को वापस लेने के लिए एक नया बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराया गया। पुलिस ने इसे इस आधार पर रद्द करने की मांग की है क्योंकि नाबालिग के पिता के बयान के आधार पर भी कोई सबूत नहीं मिला। हालांकि पॉक्सो मामले को रद्द करने पर सुनवाई 4 जुलाई को होगी। पुलिस कैंसिलेशन रिपोर्ट उन मामलों में दायर की जाती है जहां आरोपों की पुष्टि करने वाला कोई सबूत नहीं मिलता है। नाबालिग पहलवान के पिता ने बृज भूषण के खिलाफ झूठा मामला दर्ज करने की बात स्वीकार की और कहा कि वह बृज भूषण से नाराज थे क्योंकि 2022 अंडर -17 एशियाई चैंपियनशिप के ट्रायल फाइनल में उनकी बेटी हार गई थी। यह मामला अब कमजोर तो हो ही गया है लेकिन अभी भी अदालत के विवेक पर निर्भर करता है कि वो मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए दूसरे वाले बयान को स्वीकार नहीं करे।

क्या करेंगे पहलवान

इस मामले में मात्र नाबालिग पहलवान के आरोपों से पलटने पर पूरा मामला कमजोर हो गया है। ऐसे में पहलवानों के पास पूरी तरह चुप बैठन या फिर आंदोलन का रास्ता चुनने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। रोहतक में कल बुधवार को खाप पंचायतों ने रोहतक-दिल्ली राजमार्ग को कुछ देर के लिए बंद करके अपने तेवर दिखा दिए। लेकिन अब यह मामला चूंकि कोर्ट में चलेगा और तारीख पर तारीख मिलेगी तो तब तक अदालत भी पहलवानों को शांति बनाए रखने का निर्देश दे सकती है। क्योंकि इस संबंध में अब अगर जिस भी तरफ से बयानबाजी होगी, अदालत उसे गंभीरता से ले सकती है। 
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इसमें कोई शक नहीं है कि पहलवानों के आंदोलन को व्यापक समर्थन मिला है। तमाम संगठन और खाप पंचायतें अभी भी उनके समर्थन में हैं। लेकिन पुलिस और अदालत को इस मामले में सबूत चाहिए। छेड़छाड़ या आरोपी की कथित गलत हरकतो का सबूत भला कोई पहलवान कैसे दे सकती है, जब तक कि उसे यह न मालूम हो कि उसके साथ ऐसा कुछ होने वाला है। कुल मिलाकर अब सारा दारोमदार पहलवानों पर है कि वे अदालत के फैसले का इंतजार करेंगी या आंदोलन का रास्ता पकड़ेंगी। क्योंकि मामला तो अभी सेशन कोर्ट में है। फिर यह हाईकोर्ट और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट भी जाएगा।  
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क़मर वहीद नक़वी
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