पहलगाम आतंकी हमले के बाद पीएम मोदी के नेतृत्व में हुई कैबिनेट बैठक में बड़ा फ़ैसला लिया गया है। भारत ने पाकिस्तान के साथ 1960 में हुए सिंधु जल समझौते को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का ऐतिहासिक और कड़ा फ़ैसला लिया है। इसके साथ ही भारत ने सभी पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया है और पाकिस्तानी दूतावास को बंद करने की घोषणा की है। 

ये बड़े फ़ैसले लिए गए

यह फ़ैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट सुरक्षा समिति की आपात बैठक में लिया गया। बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल शामिल थे। यह निर्णय पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद लिया गया। हमले में 26 लोग मारे गए हैं।

कैबिनेट सुरक्षा समिति ने समग्र सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की और सभी बलों को उच्च सतर्कता बनाए रखने का निर्देश दिया। समिति ने संकल्प लिया कि हमले के अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा और उनके प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराया जाएगा। हाल ही में तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की तरह, भारत उन लोगों का पीछा करने में अडिग रहेगा जिन्होंने आतंकी कृत्य किए या उन्हें संभव बनाने की साज़िश रची।

भारत का यह फ़ैसला भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक नए और तनावपूर्ण दौर की शुरुआत का संकेत देता है।

सिंधु जल समझौता निलंबन

सिंधु जल समझौते पर 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किया था। यह भारत और पाकिस्तान के बीच छह नदियों- सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, और सतलुज के जल बँटवारे का आधार है। यह समझौता दशकों से दोनों देशों के बीच एकमात्र सहयोग का प्रतीक रहा, जिसे युद्धों और तनाव के बावजूद बनाए रखा गया।

भारत का समझौता निलंबित करने का फ़ैसला कई मायनों में ऐतिहासिक है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, 'समझौता तब तक निलंबित रहेगा, जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद का समर्थन पूरी तरह से बंद नहीं करता।' यह क़दम पाकिस्तान पर आर्थिक और रणनीतिक दबाव डालने की रणनीति का हिस्सा है, क्योंकि सिंधु नदी पाकिस्तान की 80% सिंचित कृषि और 50% से अधिक बिजली उत्पादन का आधार है।

निलंबन का मतलब है कि भारत अब तकनीकी बैठकों, डेटा साझा करने और विश्व बैंक के तहत परियोजना मंजूरी जैसे समझौते के दायित्वों का पालन नहीं करेगा। भारत अपनी जल हिस्सेदारी का अधिकतम उपयोग करने के लिए सतलुज, ब्यास, और रावी नदियों पर नए बांध और जलाशय बनाएगा। किशनगंगा और रतले जलविद्युत परियोजनाओं को तेज करने की योजना है, जो पहले से ही पाकिस्तान के लिए विवाद का विषय रही हैं।

पाक नागरिकों का निष्कासन और सीमा बंद

भारत ने सभी पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया। इसके साथ ही राजनयिक और दूतावास कर्मियों को भी भारत से जाने के लिए कहा गया है। सार्क वीजा छूट योजना यानी एसवीईएस के तहत जारी सभी वीजा रद्द कर दिए गए और पाकिस्तानी उच्चायोग के रक्षा, नौसेना, और वायु सलाहकारों को अवांछित व्यक्ति घोषित किया गया। दोनों देशों के उच्चायोगों की कर्मचारी संख्या को 55 से घटाकर 30 करने का फैसला भी लिया गया, जो 1 मई 2025 तक लागू होगा।

दोनों देशों के बीच व्यापार और जनसंपर्क का प्रमुख रास्ता अटारी-वाघा सीमा को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया।

यह क़दम भारत-पाकिस्तान के राजनयिक संबंधों को न्यूनतम स्तर पर लाने का संकेत देता है। भारत ने इस्लामाबाद में अपने उच्चायोग से रक्षा सलाहकारों को वापस बुलाने और अटारी सीमा को 1 मई 2025 तक वैध अनुमोदन वालों के लिए ही खुला रखने का फ़ैसला किया। इन फ़ैसलों से दोनों देशों के बीच व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और लोगों का आवागमन पूरी तरह ठप हो जाएगा।

फ़ैसले का असर क्या होगा?

भारत का यह क़दम केवल प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि एक दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है। पहलगाम हमले ने एक बार फिर पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थन को उजागर किया। जाँच में पता चला कि हमले में शामिल चार से पांच आतंकी पाकिस्तानी थे और लश्कर-ए-तैयबा का मास्टरमाइंड सैफुल्लाह खालिद पाकिस्तान में छिपा है। इसी वजह से पाकिस्तान पर दूरगामी असर डालने वाले फ़ैसले लिए गए।

सिंधु जल समझौता निलंबित करने से पाकिस्तान के कृषि और बिजली उत्पादन पर गहरा असर पड़ेगा। पाकिस्तान पहले ही 7 अरब डॉलर के आईएमएफ़ बेलआउट पर निर्भर है और जल संकट उसकी अर्थव्यवस्था को और कमजोर कर सकता है।

भारत ने यह क़दम उठाकर न केवल पाकिस्तान, बल्कि चीन और बांग्लादेश जैसी क्षेत्रीय ताक़तों को संदेश दिया है कि वह आतंकवाद के ख़िलाफ़ सख़्त नीति अपनाएगा। पहलगाम हमले ने भारत में ग़ुस्से की लहर पैदा की। सरकार का यह फ़ैसला जनता की भावनाओं को शांत करने और राष्ट्रीय एकता को मज़बूत करने का प्रयास है। भारत ने हाल ही में तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण जैसे मामलों में आतंकवाद के ख़िलाफ़ अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। यह क़दम वैश्विक मंच पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की रणनीति का हिस्सा है।

माना जा रहा है कि भारत का यह फ़ैसला वैश्विक मंच पर भी चर्चा का विषय बनेगा। अमेरिका ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद की निंदा की है। अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गैबार्ड ने भी पाकिस्तान के 'इस्लामवादी आतंकवाद' की आलोचना की थी। भारत इस क़दम का उपयोग पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने के लिए कर सकता है।

सिंधु जल समझौता निलंबित करना और पाकिस्तानी नागरिकों को निष्कासित करने का फ़ैसला भारत की आतंकवाद के ख़िलाफ़ जीरो टॉलरेंस नीति का प्रतीक है। यह क़दम पाकिस्तान पर आर्थिक और रणनीतिक दबाव डालेगा, लेकिन भारत को भी अपनी जल प्रबंधन क्षमता बढ़ाने और क्षेत्रीय तनाव से निपटने की चुनौतियों का सामना करना होगा। यह क़दम भारत-पाकिस्तान संबंधों को नए दौर में ले जाएगा, जहां शांति की राह आतंकवाद के खात्मे से होकर गुजरेगी।

पहलगाम हमले ने भारत को एकजुट किया है और यह फ़ैसला उस एकता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह क़दम आतंकवाद को जड़ से ख़त्म कर पाएगा, या क्षेत्रीय अस्थिरता को और बढ़ाएगा?