भारत के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना
जस्टिस खन्ना ने अप्रैल 2024 में लोकसभा चुनावों में ईवीएम के इस्तेमाल पर सवाल उठाने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि सभी वोटों का क्रॉस-सत्यापन या कागजी मतपत्रों पर वापसी व्यावहारिक विकल्प नहीं है।
फरवरी 2024 में, पांच जजों की पीठ के सदस्य के रूप में जस्टिस खन्ना ने दानदाताओं की पारदर्शिता और भ्रष्ट आचरण की संभावना के बारे में चिंताओं के कारण विवादास्पद चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक घोषित कर दिया। जस्टिस खन्ना ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि डोनर की गोपनीयता बैंकिंग चैनलों के माध्यम से किए गए दान पर लागू होती है, यह देखते हुए कि बांड को संभालने के लिए जिम्मेदार बैंक अधिकारी दाताओं की पहचान से अवगत हैं।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला देश में तमाम जन संगठनों, राजनीतिक दलों और खासतौर पर कश्मीर की जनता को पसंद नहीं आया। क्योंकि संविधान के जरिए जम्मू कश्मीर को ज्यादा स्वायत्तता हासिल थी लेकिन मोदी सरकार ने उसे छीन लिया। भाजपा के चुनावी घोषणापत्रों में लगातार यह एक चुनावी वादा था कि सत्ता में आने पर वो धारा 370 को खत्म कर देगी। लेकिन धारा 370 रद्द करने के मोदी सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा।