सभी वैज्ञानिक इस बात पर एक राय रखते हैं कि भारत में जलवायु परिवर्तन की बड़ी वजह हिमालय के ग्लेशियर का पिघलना है। उनका कहना है कि ग्लेशियर के पिघलने से अचानक बाढ़, भूस्खलन, मिट्टी का कटाव और हिमनद झील विस्फोट (जीएलओएफ) होता है। आसान भाषा में इस बादल का फटना या क्लाउड बर्स्ट भी कहते हैं। इस वजह से मामूली समय में ही पिघले पानी की अधिक मात्रा नीचे की ओर जाती है। लेकिन लंबे समय में, पानी की उपलब्धता कम होने से पानी की कमी बढ़ जाएगी।
हिमालय 8 देशों में फैला है। ये हैं- भारत, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल, चीन, भूटान, बांग्लादेश और म्यांमार हैं। दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत भी इन्हीं देशों में हैं। इन्हें थर्ड पोल (तीसरा ध्रुव) भी कहते हैं। हिमालय जीवन देता है। यह लाइन बहुत मशहूर है। लेकिन कैसे देता है। दरअसल, कई नदियां हिमालय के ग्लेशियर से निकलती हैं। इसमें गंगा, यांग्त्ज़ी, इरावदी और मेकांग प्रमुख हैं। इन्हीं नदियों से नदियों के पानी का कुदरती नेटवर्क भारत, चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल आदि देशों में बना हुआ है। ग्लेशियरों से बहने वाला पानी खेती के काम आता है, जिस पर लगभग 2 अरब लोग निर्भर हैं।