कोल्ड्रिफ कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद तमिलनाडु स्थित कंपनी को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया। इसके मालिक को गिरफ्तार कर लिया गया, लाइसेंस रद्द कर दिया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत से पूछा है कि इसका निर्यात किन देशों को किया गया है।
मध्य प्रदेश और राजस्थान में कोल्ड्रिफ कफ सीरप से बच्चों की मौत के बाद देशभर में फार्मा उद्योग पर सवाल उठ रहे हैं। सीरप को बनाने वाली तमिलनाडु की कंपनी श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स को स्थायी रूप से बंद करने का आदेश हुआ है। कंपनी के मालिक रंगनाथन को गिरफ्तार कर लिया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भारत सरकार से पूछा है कि क्या यह सीरप अन्य देशों में निर्यात किया गया था? उधर, सुप्रीम कोर्ट ने कफ सीरप से जुड़ी मौतों पर जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करने का फैसला किया है। यह मामला न केवल ड्रग रेगुलेटर सिस्टम की नाकामी को उजागर कर रहा है, बल्कि बच्चों की दवाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
छिंदवाड़ा से शुरू हुआ था बच्चों की मौत का सिलसिला
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में अगस्त से शुरू हुई यह त्रासदी अब पूरे देश को झकझोर रही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, कोल्ड्रिफ सीरप के सेवन के बाद 20 से अधिक बच्चे किडनी फेलियर का शिकार हो चुके हैं, जिनमें से 21 की मौत हो गई। ज्यादातर बच्चे पांच साल से कम उम्र के थे। शुरुआत में सर्दी, खांसी या बुखार के लक्षण दिखने पर डॉक्टरों ने यह सीरप लिखा, लेकिन कुछ दिनों बाद बच्चों में पेशाब रुकना, उल्टी और गंभीर किडनी संक्रमण के लक्षण नजर आए। लैब टेस्ट में पुष्टि हुई कि सीरप में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) नामक जहरीला रसायन 48.6 प्रतिशत तक मौजूद था, जो अनुमति सीमा (0.1 प्रतिशत) से सैकड़ों गुना अधिक है। यह रसायन एंटीफ्रीज और सौंदर्य प्रसाधनों में इस्तेमाल होता है, लेकिन दवाओं में घातक साबित होता है।
छिंदवाड़ा के एक निजी क्लिनिक चलाने वाले डॉक्टर प्रवीण सोनी ने अधिकांश प्रभावित बच्चों को यह सीरप लिखा था। पुलिस ने डॉक्टर सोनी को लापरवाही के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। सोनी ने सफाई दी कि "यह सीरप दस साल से इस्तेमाल हो रहा था, मौतों से सीधा संबंध जोड़ना मुश्किल है।" लेकिन जांच में पाया गया कि उन्होंने बिना पर्याप्त जांच के यह दवा लिखी थी। मध्य प्रदेश पुलिस ने श्रीसन फार्मा के खिलाफ दवा में मिलावट और बच्चों की सुरक्षा को खतरे में डालने जैसे गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की है।
कंपनी पर कार्रवाई: लाइसेंस रद्द, मालिक चेन्नई से गिरफ्तार
कोल्ड्रिफ सीरप तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले में स्थित श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स ने बनाया था। कंपनी के मालिक जी. रंगनाथन (73 वर्ष) को 8 अक्टूबर को चेन्नई के कोडंबक्कम इलाके से मध्य प्रदेश पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) ने गिरफ्तार कर लिया। रंगनाथन फरार चल रहे थे और उन्हें ट्रांजिट रिमांड पर छिंदवाड़ा लाया जा रहा है। तमिलनाडु सरकार ने कंपनी को नोटिस जारी कर दवा लाइसेंस रद्द करने का प्रस्ताव दिया, जबकि केंद्रीय ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) ने निर्माण लाइसेंस स्थायी रूप से रद्द करने की सिफारिश की।
बच्चों की मौत के बाद जागी एजेंसियां, अब तमाम कमियां तलाश लीं
जांच में कंपनी पर 350 से अधिक उल्लंघन पाए गए, जिनमें गंदी सफाई व्यवस्था, कीटनाशक नियंत्रण की कमी, गैर-फार्मा ग्रेड रसायनों का अवैध इस्तेमाल और कच्चे माल की बैच-दर-बैच जांच न करना शामिल है। तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल अथॉरिटी ने उत्पादन रोक दिया, सभी स्टॉक जब्त कर लिए और पूरे राज्य में बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया। मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, केरल और तेलंगाना समेत कम से कम नौ राज्यों ने कोल्ड्रिफ पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने घर-घर जाकर सीरप बरामद करने का अभियान चलाया, जबकि दवा दुकानों को सख्त चेतावनी दी गई।
कंपनी ने कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया, लेकिन सरकारी दस्तावेजों से पता चला कि कोल्ड्रिफ केवल भारत में ही बेचा जा रहा था। फिर भी, सप्लाई चेन की जांच जारी है, जिसमें रासायनिक सप्लायरों और मेडिकल प्रतिनिधियों को शामिल किया जा रहा है।
डब्ल्यूएचओ का सवाल: क्या जहरीला सीरप विदेशों में पहुंचा?
यह घटना 2022-23 में गाम्बिया, उज्बेकिस्तान और कैमरून में भारतीय कफ सीरप से 140 बच्चों की मौतों की याद दिला रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 8 अक्टूबर को भारत सरकार से स्पष्टीकरण मांगा कि क्या कोल्ड्रिफ सीरप का निर्यात अन्य देशों में किया गया? डब्ल्यूएचओ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हम भारतीय अधिकारियों से आधिकारिक पुष्टि का इंतजार कर रहे हैं। यदि जरूरी हुआ तो ग्लोबल मेडिकल प्रोडक्ट्स अलर्ट जारी करेंगे।"
दो साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सीरप न दिया जाएः WHO
डब्ल्यूएचओ ने एक बार फिर चेतावनी दी कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को कफ और कोल्ड की दवाएं न दी जाएं। भारत में 2023 से निर्यातित कफ सीरप पर अतिरिक्त सरकारी लैब टेस्ट अनिवार्य हैं, लेकिन घरेलू बाजार में ऐसी सख्ती की कमी पर सवाल उठे हैं। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने सभी राज्यों को कच्चे माल और तैयार दवाओं की जांच के लिए ड्रग्स रूल्स, 1945 का सख्त पालन करने का निर्देश दिया।
डॉ कफील खान का ट्वीट
बच्चों के विशेषज्ञ डॉक्टर और गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज घटना में सरकारी उत्पीड़न का शिकार हुए
डॉ कफील खान ने तीखी टिप्पणी की है। उन्होंने एक्स पर लिखा हैः ये ब्रांडेड कंपनी Paracetamol , Phenylehrine Hydrochloride & Chlorpheniramine के नुकसानदायक कॉम्बिनेशन सिरप बना रही है जो की बैन है। डॉक्टर, फार्मा का नेक्सस तो ज़िम्मेदार है ही अभिभावक भी ज़िम्मेदार है। भारत में लगभग हर तीसरा अभिभावक बच्चों के लिए बिना डॉक्टर की सलाह OTC खाँसी की दवा खरीदते हैं। बच्चों को दवा हमेशा बाल रोग विशेषज्ञ की सलाह से ही दें।सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल: सीबीआई जांच और राष्ट्रीय सुधारों की मांग
इस बीच एडवोकेट विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की, जिसमें कफ सीरप मौतों की न्यायिक जांच, सीबीआई प्रोब और दवा सुरक्षा में व्यापक सुधार की मांग की गई। याचिका में कहा गया कि यह "संयोग की त्रासदी नहीं, बल्कि लापरवाही, उदासीनता और नियामक विफलता का परिणाम" है। सुप्रीम कोर्ट ने पीआईएल को स्वीकार करते हुए सुनवाई का फैसला किया, जिसमें रिटायर्ड जज की अगुवाई में नेशनल ज्यूडिशियल कमीशन गठित करने, सभी एफआईआर को सीबीआई को ट्रांसफर करने, सभी बैचों की जब्ती और एनएबीएल मान्यता प्राप्त लैबों में टॉक्सिकोलॉजी टेस्ट की मांग शामिल है।
याचिका में सीडीएससीओ और केंद्र पर सवाल उठाए गए कि मौतों की खबरों के बावजूद तत्काल रिकॉल क्यों नहीं किया गया? इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने भी दोषियों पर त्वरित कार्रवाई और प्रभावित परिवारों को मुआवजा देने की मांग की, साथ ही ओटीसी (ओवर द काउंटर) बिक्री पर चिंता जताई।
यह घटना भारत के 50 अरब डॉलर के फार्मा उद्योग (जिसका आधा निर्यात पर निर्भर) के लिए झटका है। विशेषज्ञों का कहना है कि बैच-टेस्टिंग, जीएमपी (गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस) और एक्सपिशिएंट्स (उत्पाद बढ़ाने वाले तत्व) पर ऑडिट अनिवार्य होने चाहिए। केंद्र ने दो साल से कम बच्चों के लिए कफ सीरप पर प्रतिबंध लगाया, लेकिन घरेलू बाजार में सख्ती की जरूरत है। सीआईडी और मल्टीडिसिप्लिनरी टीम जांच कर रही है, जबकि आईसीएमआर के डीजी राजीव बहल ने चेतावनी दी कि बच्चों को अनावश्यक दवाएं न दें।
यह त्रासदी न केवल परिवारों का दर्द है, बल्कि सिस्टम की कमजोरी का आईना। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से उम्मीद है कि दोषी सजा पाएं और ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।