लोकनीति-सीएसडीएस (CSDS) के सह-निदेशक और प्रसिद्ध चुनाव विश्लेषक संजय कुमार ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के संबंध में अपने एक गलत पोस्ट के लिए मंगलवार को सार्वजनिक रूप से माफी मांगी। इस पोस्ट में उन्होंने दावा किया था कि महाराष्ट्र के दो विधानसभा क्षेत्रों रामटेक और देवलाली में लोकसभा चुनाव 2024 की तुलना में विधानसभा चुनाव 2024 में मतदाताओं की संख्या में भारी कमी आई है। इस पोस्ट को बाद में डिलीट कर दिया गया, जिसके बाद बीजेपी ने संजय कुमार पर तीखा हमला बोला और इसे "सिर्फ एक गलती" मानने से इनकार कर दिया। 
संजय कुमार ने पूरी ईमानदारी बरतते हुए अपने एक्स हैंडल पर माफी मांगते हुए कहा, "महाराष्ट्र चुनावों के संबंध में मेरे ट्वीट्स में गलती हुई। 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव के डेटा की तुलना में हमारी डेटा टीम ने गलत डेटा पढ़ लिया। मैंने कोई गलत सूचना फैलाने का इरादा नहीं किया था।" उन्होंने आगे कहा कि संबंधित पोस्ट को हटा लिया गया है।
संजय कुमार ने अब हटाए गए पोस्ट में दावा किया था कि रामटेक विधानसभा क्षेत्र में 2024 के लोकसभा चुनाव में 4,66,203 मतदाता थे, जो विधानसभा चुनाव में घटकर 2,86,931 हो गए, यानी 38.45% की कमी। इसी तरह, देवलाली में लोकसभा चुनाव में 4,56,072 मतदाता थे, जो विधानसभा चुनाव में 2,88,141 हो गए, यानी 36.82% की कमी। 
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बीजेपी आईटी सेल के अमित मालवीय पीछे पड़े

संजय कुमार की माफी के बाद बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे "सिर्फ एक गलती" मानने से इनकार करते हुए कहा कि यह संजय कुमार के साबित हो चुके "पक्षपात" (confirmation bias) का नतीजा है। मालवीय ने आगे लिखा, "जिस संस्थान के डेटा का इस्तेमाल राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के मतदाताओं को बदनाम करने के लिए किया, उसने अब स्वीकार किया कि उसके आंकड़े गलत थे। न केवल महाराष्ट्र के लिए, बल्कि अन्य जगहों के लिए भी।"

निष्पक्ष विश्लेषण के लिए मशहूर है सीएसडीएस

सीएसडीएस और लोकनीति अपने निष्पक्ष विश्लेषण के लिए मशहूर है। लेकिन जब बीजेपी नेताओं को कोई सर्वे अपने अनुकूल नहीं लगता है तो वे आलोचना शुरू कर देते हैं। इस बार ऐसा ही हुआ है। सीएसडीएस लोकनीति ने तीन दिन पहले एक सर्वे किया था, जिसमें उसने कहा था कि राहुल गांधी और विपक्ष के वोट चोरी अभियान के बाद भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) की विश्वसनीयता कम हुई है। उसने राज्यवार आंकड़े देकर बताया कि कैसे चुनाव आयोग पर लोगों का भरोसा टूटा है। यह सर्वे चुनाव आयोग के बजाय बीजेपी को पसंद नहीं आया। लेकिन बीजेपी को अगले ही दिन मौका मिल गया। उसने संजय कुमार पर जमकर निशाना साधा।

अमित मालवीय पर फेक न्यूज फैलाने का आरोप

बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय पर खुद फेक न्यूज फैलाने का आरोप है। लेकिन उन्होंने कभी भी न तो अपने ट्वीट वापस लिए और न ही माफी मांगी। उनके खिलाफ फेक न्यूज फैलाने के आरोपों की भरमार है। पिछले दिनों अमित मालवीय ने तुर्की में कांग्रेस पार्टी का दफ्तर खुलवा दिया। रिपब्लिक टीवी चैनल के अर्नब गोस्वामी ने अमित मालवीय के ट्वीट के आधार पर कांग्रेस का खूब मजाक उड़ाया। कांग्रेस की ओर से 20 मई को बेंगलुरु में अमित मालवीय और गोस्वामी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई। मालवीय ने इस कृत्य के लिए माफी नहीं मांगी।  

अमित मालवीय और अर्नब गोस्वामी के खिलाफ बेंगलुरु में एफआईआर दर्ज की गई।

अपनी शिकायत में, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि अमित मालवीय और अर्नब गोस्वामी ने पार्टी के खिलाफ गलत जानकारी फैलाई, जिसे उन्होंने "मनगढ़ंत दावे का दुर्भावनापूर्ण प्रचार" बताया। पुलिस के अनुसार, बेंगलुरु के हाई ग्राउंड्स पुलिस स्टेशन में भारतीय न्याय संहिता की धारा 192 (दंगा भड़काने के इरादे से जानबूझकर उकसाना) और 352 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना) के तहत एफआईआर दर्ज की गई। यह केस अभी बंद नहीं हुआ है।

अमित मालवीय पर फेक न्यूज का एक और आरोप 

तमिलनाडु में भी अमित मालवीय पर सितंबर 2023 में फेक न्यूज फैलाने का आरोप लगा था। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन के "सनातन धर्म" पर दिए गए भाषण के बारे में कथित तौर पर फर्जी खबर फैलाने के आरोप में भाजपा नेता अमित मालवीय के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज किया गया है। 
अमित मालवीय ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा था कि मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे ने "सनातन धर्म" के अनुयायियों के "नरसंहार" का आह्वान किया था। यह मामला दंगे भड़काने और समुदायों के बीच दुश्मनी फैलाने जैसे आरोपों के तहत दर्ज किया गया है। अमित मालवीय का यह विवादित ट्वीट अभी भी सोशल मीडिया पर है। उन्होंने कभी भी अपने ट्वीट को वापस नहीं लिया।

सोनिया गांधी का फर्जी दस्तावेज पेश करने का आरोप 

यह विवाद तब शुरू हुआ जब बीजेपी ने पिछले बुधवार को कांग्रेस के 'वोट चोरी' के जवाब में अपना और चुनाव आयोग का बचाव करते हुए सोनिया गांधी पर गंभीर आरोप लगाए। बीजेपी ने दावा किया कि सोनिया गांधी का नाम दो बार मतदाता सूची में शामिल हुआ, बिना उनकी इटली की नागरिकता छोड़े। बीजेपी के आईटी विभाग प्रमुख अमित मालवीय ने X पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आधिकारिक निवास की मतदाता सूची का एक दस्तावेज साझा किया, जिसमें दावा किया गया कि सोनिया का नाम 1 जनवरी 1980 को मतदाता सूची में जोड़ा गया था। लेकिन कांग्रेस और टीएमसी सांसद साकेत गोखले ने अमित मालवीय के दस्तावेज को फर्जी बताया। अमित मालवीय ने आज तक इस कृत्य के लिए माफी नहीं मांगी।
मालवीय ने आरोप लगाया, "सोनिया गांधी का नाम 1980 में, जब वह इतालवी नागरिक थीं, और फिर 1983 में, भारत की नागरिकता मिलने से कुछ महीने पहले, मतदाता सूची में शामिल किया गया। हम यह भी नहीं पूछ रहे कि राजीव गांधी से शादी के 15 साल बाद तक उन्होंने भारतीय नागरिकता क्यों नहीं ली। अगर यह स्पष्ट चुनावी कदाचार नहीं है, तो क्या है?" इसका जवाब केरल कांग्रेस ने जबरदस्त ढंग से दिया। कांग्रेस केरल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए कहा, "आपका फोटोशॉप बहुत अच्छा है, लेकिन एक गलती रह गई। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (NCT) का गठन 1991 के 69वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम द्वारा हुआ था। 1980 में यह दिल्ली का केंद्र शासित प्रदेश था। अपने पॉ-पॉ नरेंद्र मोदी से बेहतर सुझाव लें।" यानी अमित मालवीय ने फर्जी दस्तावेज शेयर किया था। 
तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद साकेत गोखले ने बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय पर निशाना साधते हुए X पर लिखा, "बीजेपी के आईटी सेल कुली ने जाली दस्तावेज पोस्ट किया है। 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली' का गठन 2 जनवरी 1992 को हुआ था। जालसाजी एक अपराध है, जिसके लिए बीएनएस की धारा 336(3) के तहत 7 साल की सजा हो सकती है। क्या चुनाव आयोग में बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख के खिलाफ FIR दर्ज करने की हिम्मत है?"

मालवीय के अन्य विवादित ट्वीट

अमित मालवीय अपने आपत्तिजनक और गलत ट्वीट के कारण काफी चर्चित हैं। स्क्रॉल ने आल्ट न्यूज और न्यूज लॉन्ड्री की एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। जिसमें अमित मालवीय के ऐसे 16 कारनामे गिनाए थे। 2020 में महिलाओं के शाहीन बाग आंदोलन के दौरान भी उनके कई ऐसे ही ट्वीट सामने आए थे। उन्होंने अक्सर कई समूहों या लोगों पर पाकिस्तान जिन्दाबाद का नारा लगाने का आरोप लगाया था। लेकिन बाद में आरोप गलत पाए गए। अमित मालवीय ने कभी माफी नहीं मांगी। जेएनयू और जामिया में छात्रों के आंदोलन के दौरान अमित मालवीय और टीवी पत्रकार सुधीर चौधरी ने यही आरोप जेएनयू के पूर्व छात्र नेता कन्हैया कुमार और अभी भी जेल में बंद उमर खालिद पर लगाए थे। उस आधार पर केस भी दर्ज हुआ, लेकिन उन नारों की सच्चाई दिल्ली पुलिस आज तक साबित नहीं कर सकी। मालवीय और सुधीर ने कभी इस पर माफी नहीं मांगी।