भारत के चुनाव आयोग द्वारा जारी चुनावी बांड डेटा से पता चलता है कि नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड वह कंपनी है जिसने उत्तरकाशी में सिल्कयारा सुरंग का निर्माण किया था जो 12 नवंबर 2023 को ढह गई थी। उसने कम से कम 55 करोड़ रुपये के चुनावी बांड खरीदे थे।


चुनावी बांड के आंकड़ों को के अनुसार, जिसे ईसीआई ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 14 मार्च को अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया था, कंपनी ने 2019 में 45 करोड़ रुपये के चुनावी बांड खरीदे और 2022 में 10 करोड़ रुपये के बांड खरीदे। इसमें से, उन्होंने 18 अप्रैल 2019 को 10 करोड़ रुपये मूल्यवर्ग के 30 व्यक्तिगत बांड में 30 करोड़ रुपये का पहली चुनावी बांड खरीदा था। उन्होंने मई 2019 में लोकसभा चुनाव से कुछ समय पहले 18 अप्रैल 2019 को 1 करोड़ रुपये के ये 30 बांड खरीदे थे।

2018 में कंपनी पर पड़े थे छापे



जुलाई 2018 में भी कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज द्वारा नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी के परिसरों पर छापेमारी की गई थी। अक्टूबर 2018 में, आयकर विभाग ने कंपनी द्वारा कथित टैक्स चोरी को लेकर नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी के हैदराबाद परिसर पर छापा मारा। डेटा से पता चलता है कि 'नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड' ने 2019 में 1-1 करोड़ रुपये के 45 चुनावी बांड खरीदे थे। डेटा में 'नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड' के रूप में उल्लिखित उसी कंपनी ने 2022 में 1-1 करोड़ रुपये के 10 अन्य चुनावी बांड खरीदे थे।

इसने 18 अप्रैल 2019 को अधिकतम 30 बांड खरीदे थे, इसके बाद 10 अक्टूबर 2019 को 15 बांड और 10 अक्टूबर 2022 को शेष 10 बांड खरीदे थे। वर्ष 2023 और 2024 में कंपनी को चुनावी बांड खरीद से जोड़ने वाला कोई डेटा नहीं मिल सका। भारतीय स्टेट बैंक ने ईसीआई के साथ जो चुनावी बांड डेटा साझा किया है वह 1 अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 तक का है। लेकिन तथ्यों से साफ है कि 2018 में केंद्रीय जांच एजेंसियों के छापे के बाद कंपनी ने बांड खरीदे।







डीएलएफ एक और बड़ा बांड खरीदार है जिसने 130 करोड़ रुपये के बांड खरीदे हैं। सीबीआई ने 1 नवंबर, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आधार पर डीएलएफ न्यू गुड़गांव होम्स डेवलपर्स के खिलाफ मामला दर्ज किया था। 25 जनवरी, 2019 को, सीबीआई ने जमीन आवंटन में कथित अनियमितताओं के मामले में कंपनी के गुरुग्राम और कई अन्य स्थानों पर कार्यालयों पर छापा मारा। 9 अक्टूबर, 2019 से समूह ने चुनावी बांड खरीदना शुरू किया और कुल मिलाकर 130 करोड़ रुपये मूल्य के बांड खरीदे। 25 नवंबर, 2023 को ईडी ने रियल एस्टेट फर्म सुपरटेक और उसके प्रमोटरों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत उसके गुड़गांव कार्यालयों की तलाशी ली।

वेलस्पन समूह ने अपनी सहयोगी कंपनियों के जरिए 55 करोड़ रुपये के बांड खरीदे। 2019 और 2024 के बीच इसकी खरीदारी की पहली किश्त अप्रैल 2019 में की गई थी। ये खरीदारी आयकर विभाग द्वारा जुलाई, 2017 में वेलस्पन एंटरप्राइजेज के परिसरों पर छापे के ठीक एक साल बाद हुई थी। इससे पहले, कंपनी को विदेशी मुद्रा उल्लंघन के मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच का सामना करना पड़ा था और एजेंसी ने 2013 में उस पर 55 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।

हैदराबाद स्थित नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी (एनसीसी) लिमिटेड ने 2019 और 2022 में 60 करोड़ रुपये के चुनावी बांड खरीदे। 15 नवंबर, 2022 को आयकर विभाग ने संदिग्ध कर चोरी के लिए एनसीसी पर तलाशी ली। इसी तरह, यूनाइटेड फॉस्फोरस इंडिया लिमिटेड, जिसने 2019 में 50 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे थे, पर 22 जनवरी, 2020 को आयकर विभाग ने छापा मारा था।