'यदि चीन ब्रह्मपुत्र का पानी रोक दे तो भारत का क्या होगा?' इस सवाल पर बड़ा विवाद हो रहा है। पाकिस्तान और चीनी खेमे की ओर से ऐसा सवाल उछाला गया और अब इस पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने प्रतिक्रिया दी है।
सरमा ने पाकिस्तान द्वारा उठाए जा रहे ब्रह्मपुत्र नदी के पानी को लेकर डर के माहौल को खारिज किया है। सरमा ने कहा कि पाकिस्तान एक नई डरावनी कहानी गढ़ रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि यदि चीन ब्रह्मपुत्र का पानी रोक दे तो भारत का क्या होगा। उन्होंने साफ़ किया कि ब्रह्मपुत्र का 65-70% पानी भारत में ही उत्पन्न होता है, और यदि चीन ने पानी रोका भी, तो भारत पर इसका प्रभाव न्यूनतम होगा।
हिमंत बिस्वा सरमा का यह बयान भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने के बाद पाकिस्तान द्वारा 'गढ़ी गई कहानी' के जवाब में आया है। 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई सिंधु जल संधि सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के जल को लेकर है। हाल ही में अप्रैल 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने इस संधि को निलंबित करने का ऐलान किया। इस फ़ैसले से पाकिस्तान में बौखलाहट है और वह ब्रह्मपुत्र नदी के पानी को लेकर भारत में भय फैलाने की कोशिश कर रहा है।
पाकिस्तानी मीडिया और सोशल मीडिया पर चर्चा है कि ब्रह्मपुत्र के ऊपरी हिस्से को नियंत्रित करने वाला चीन भारत को पानी रोक सकता है। इस दावे को बल तब मिला जब बीजिंग स्थित सेंटर फॉर चाइना एंड ग्लोबलाइजेशन के उपाध्यक्ष विक्टर गाओ ने ब्रह्मपुत्र का पानी रोकने के संकेत दिए। गाओ ने हाल ही में इंडिया टुडे के साथ इंटरव्यू में चेताया था, 'दूसरों के साथ वैसा मत करो जैसा तुम नहीं चाहते कि तुम्हारे साथ हो।' उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि जिस तरह भारत की नदियाँ पाकिस्तान में बहती हैं उसी तरह चीन की नदियाँ भारत में बहती हैं और कोई भी शत्रुतापूर्ण कार्रवाई पर समान जवाबी कार्रवाई हो सकती है।
इस बीच पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के वरिष्ठ सहयोगी राना इहसान अफजल ने एक चौंकाने वाले बयान में चेतावनी दी कि भारत के सिंधु संधि को निलंबित करने के फ़ैसले पर प्रतिक्रिया हो सकती है, जिसमें चीन संभावित रूप से ब्रह्मपुत्र नदी के भारत में प्रवाह को रोककर जवाबी कार्रवाई कर सकता है।
हिमंत बिस्वा सरमा का जवाब
असम के मुख्यमंत्री ने पाकिस्तान के दावों को कोरी कल्पना करार देते हुए कहा कि ब्रह्मपुत्र का अधिकांश पानी भारत में अरुणाचल प्रदेश और असम जैसे राज्यों में उत्पन्न होता है। उन्होंने तथ्यों के साथ बताया कि चीन द्वारा पानी रोकने का प्रभाव न्यूनतम होगा, क्योंकि नदी का केवल 30-35% पानी ही तिब्बत से आता है। सरमा ने यह भी कहा कि भारत के पास जल प्रबंधन के लिए पर्याप्त तकनीक और संसाधन हैं, जिससे वह किसी भी स्थिति से निपट सकता है।
सरमा ने कहा, "ब्रह्मपुत्र: एक नदी जो भारत में बढ़ती है, न कि सिकुड़ती है। चीन ब्रह्मपुत्र के कुल प्रवाह में केवल 30–35% का योगदान देता है, जो मुख्य रूप से हिमनदों के पिघलने और तिब्बत में सीमित वर्षा से आता है। बाक़ी 65–70% प्रवाह भारत के भीतर उत्पन्न होता है, जिसका श्रेय जाता है- अरुणाचल प्रदेश, असम, नगालैंड और मेघालय में मूसलाधार मानसूनी बारिश को। सुभानसिरी, लोहित, कामेंग, मानस, धनसिरी, जिया-भराली, कोपिली जैसी प्रमुख सहायक नदियों को। खासी, गारो और जयंतिया पहाड़ियों से आने वाली कृष्णाई, दिगारू और कुलसी जैसी नदियों के अतिरिक्त प्रवाह को।"
असम सीएम ने कहा है, "भारत-चीन सीमा पर प्रवाह 2,000–3,000 क्यूबिक मीटर प्रति सेकंड है और असम के मैदानों में मानसून के दौरान प्रवाह बढ़कर 15,000–20,000 क्यूबिक मीटर प्रति सेकंड हो जाता है।"
उन्होंने कहा, "पाकिस्तान को ये सच्चाई जाननी चाहिए। भले ही चीन पानी का प्रवाह कम करे (जो संभावना कम है, क्योंकि चीन ने कभी किसी आधिकारिक मंच पर ऐसी धमकी या संकेत नहीं दिया), यह वास्तव में भारत को असम में हर साल होने वाली बाढ़ को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, जो लाखों लोगों को विस्थापित करती है और आजीविका को तबाह करती है।"
क्या चीन ब्रह्मपुत्र का पानी रोक सकता है?
चीन ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र पर ज़ंगमु और डागु बांध जैसे कई बांध बनाए हैं और वह जलविद्युत परियोजनाओं का विस्तार कर रहा है। 2022 से चीन ने भारत के साथ जलविज्ञान संबंधी डेटा साझा करना बंद कर दिया है, जो बाढ़ की भविष्यवाणी और जल प्रबंधन के लिए अहम है। यह स्थिति भारत के लिए चुनौती पैदा कर सकती है, खासकर अरुणाचल प्रदेश और असम में, जहां ब्रह्मपुत्र नदी जीवनरेखा है।
हालाँकि, जानकारों का मानना है कि चीन के लिए ब्रह्मपुत्र का पानी पूरी तरह रोकना तकनीकी और भौगोलिक रूप से मुश्किल है। नदी का अधिकांश जल भारत में वर्षा और सहायक नदियों से आता है। इसके अलावा, पानी रोकने से चीन को भी नुक़सान हो सकता है, क्योंकि यह बांग्लादेश जैसे निचले क्षेत्रों को प्रभावित करेगा, जिसके साथ चीन के संबंध अच्छे हैं।
पाकिस्तान की भूमिका
पाकिस्तान का यह दावा कि चीन भारत के ख़िलाफ़ ब्रह्मपुत्र का पानी रोक सकता है, भारत द्वारा सिंधु जल संधि निलंबन का जवाब माना जा रहा है। जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान अपने 'मित्र' चीन के साथ मिलकर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। हालाँकि, यह रणनीति कितनी प्रभावी होगी, यह संदिग्ध है, क्योंकि चीन के अपने हित हैं, और वह भारत के साथ तनाव को अनावश्यक रूप से बढ़ाने से बच सकता है।
ब्रह्मपुत्र की स्थिति और प्रभाव
ब्रह्मपुत्र नदी भारत, चीन और बांग्लादेश से होकर गुजरती है। भारत में यह नदी अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय के लिए काफ़ी अहम है, जहां यह कृषि, मत्स्य पालन और जलविद्युत का आधार है। यदि चीन पानी रोकने या बांधों के जरिए प्रवाह को नियंत्रित करने की कोशिश करता है, तो इसका असर हो सकता है।
- पानी के प्रवाह में बदलाव से असम में बाढ़ या सूखे की स्थिति बढ़ सकती है।
- असम और अरुणाचल में धान और अन्य फसलों पर निर्भरता प्रभावित हो सकती है।
- सियांग बांध जैसी भारत की अपनी जलविद्युत परियोजनाएं प्रभावित हो सकती हैं।
- पानी रोकने से भारत-चीन और भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव बढ़ सकता है।
हालांकि, सरमा ने आश्वासन दिया है कि भारत के पास जल प्रबंधन के लिए वैकल्पिक योजनाएं हैं, और वह किसी भी स्थिति से निपटने में सक्षम है।
भारत का सिंधु जल संधि को निलंबित करने का फ़ैसला एक रणनीतिक कदम है, जो पाकिस्तान के साथ तनावपूर्ण संबंधों को दिखाता है। पाकिस्तान का ब्रह्मपुत्र को लेकर डर फैलाना एक मनोवैज्ञानिक युद्ध का हिस्सा हो सकता है, लेकिन हिमंत बिस्वा सरमा के बयान ने इस दावे को तथ्यों के साथ खारिज कर दिया है। चीन द्वारा पानी रोके जाने की संभावना को पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता, लेकिन यह तकनीकी और कूटनीतिक रूप से मुश्किल है।
हिमंत बिस्वा सरमा का बयान न केवल पाकिस्तान के दावों का जवाब है, बल्कि यह भारत की आत्मनिर्भरता और जल प्रबंधन की क्षमता को भी दिखाता है। हालाँकि, माना जा रहा है कि ब्रह्मपुत्र पर चीन की गतिविधियों पर नज़र रखना और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना भारत के लिए अहम होगा।