आईसीएमआर ने इसके लिए रैंडम तरीक़े से यानी जहाँ-तहाँ से एक मार्च से लेकर 15 मार्च तक 1020 सैंपल लिए थे यह देखने के लिए कि उनमें कोरोना वायरस की पुष्टि होती है या नहीं। ये वे लोग थे जिनमें गंभीर साँस की बीमारियों, न्यूमोनिया और इन्फ्लूएंज़ा जैसे लक्षण थे।