loader

कोरोना वायरस पर हम नहीं चेते तो इटली जैसा हो जाएगा हाल!

भारत में कोरोना वायरस पर घोर लापरवाही का क्या असर होगा? क्या हम देश में इटली जैसी स्थिति होने देना चाहते हैं? क्या इस वायरस के कारण हम घरों में कैद हो जाना चाहते हैं? फिर ऐसी लापरवाही क्यों? भीड़-भाड़ में जाना। समूह में पार्टी करना। मॉल जैसी जगहों पर घूमना। कोरोना वायरस पीड़ित मरीजों का हॉस्पिटल से भाग जाना। और न जाने ऐसी ही कितनी लापरवाहियाँ? ऐसी लापरवाहियों का क्या नतीजा होगा? 1.3 अरब की जनसंख्या वाले इस देश की हालत क्या होगी? इसकी मिसाल इटली है। ऐसी लापरवाहियाँ इटली में बरती गईं और कुछ ही दिनों में वहाँ हज़ारों लोगों की मौत हो गई। एक-एक दिन में 300 लोगों तक की मौतें हो गईं। शवों को अंतिम संस्कार करने में भी दिक्कतें हो रही हैं और कई-कई दिन तक शवों को कॉफिन में ही रखना पड़ रहा है। इटली के लोग घरों में कैद कर दिए गए। पुलिस की अनुमति के बिना लोगों के घर से बाहर निकलने पर भी पाबंदी है। आख़िर ऐसी हालत में इटली कैसे पहुँचा? क्या इटली से हम सबक़ ले सकते हैं। तो आइए, इटली के ही व्यक्ति के अनुभव से समझें कि इतनी बदतर स्थिति कैसे हो गई।

जैसन यानोवित्ज़ नाम के ट्विटर हैंडल पर इटली में कोरोना वायरस के फैलने के अनुभव को साझा किया गया है। इसे 183 हज़ार से ज़्यादा बार रीट्वीट किया गया है। जैसन ने ट्वीट किया है कि यदि आप दोस्तों के साथ रेस्त्राँ, बार जाते हैं और ऐसा लगता है कि यह बड़ी बात नहीं है तो संभल जाइए। उन्होंने लिखा है, 'यह ट्विटर थ्रेड इटली के एक नागरिक से लिया गया है। जैसा कि उन्होंने कहा- बाक़ी दुनिया के लिए, आपको बिल्कुल ही अंदाज़ा नहीं है कि आगे क्या होने वाला है।'

इस ट्वीट में लिखा गया है- 'मुझे लगता है कि सभी को पता है कि कोरोना वायरस के कारण इटली क्वैरेन्टाइन पर है। स्थिति ख़राब है, लेकिन इससे भी बुरा यह देखना है कि बाक़ी दुनिया ऐसे पेश आ रही है जैसे उनके साथ ऐसा नहीं होने वाला है। हमें पता है कि आप क्या सोच रहे हैं क्योंकि हम भी पहले आप ही की तरह सोच रहे थे।'

इस ट्वीट में इटली में कोरोना वायरस के बारे में पूरे घटनाक्रमों को छह चरणों में बाँट कर समझाया गया है और उस दौरान के अनुभव साझा किये गए हैं-

ताज़ा ख़बरें

पहला चरण

आपके देश में कोरोना वायरस के कुछ मामले आने लगते हैं। लगता है, कोई चिंता की बात नहीं है, यह सिर्फ़ सामान्य सर्दी-जुकाम है। मैं 75 वर्ष से ज़्यादा उम्र का नहीं हूँ इसलिए मुझे क्या होगा? सबलोग यूँ ही बढ़ाचढ़ा कर बोल रहे हैं। 

दूसरा चरण

केसों की संख्या काफ़ी बढ़ने लगती है। 

वे रेड ज़ोन घोषित करते हैं और एक या दो शहरों को क्वैरेंटाइन करते हैं जहाँ सबसे पहले कुछ मामले आए (22 फ़रवरी)। 

यह दुखद है और कुछ चिंताजनक भी लेकिन वे अपना ध्यान रख रहे हैं और इसलिए घबराने की ज़रूरत नहीं है। कुछ लोगों की मौत होती है लेकिन वे बुजुर्ग हैं इसलिए मीडिया पैनिक फैला रहा है, कितना शर्मनाक है यह।

लोग पहले की तरह ही रहते हैं... दोस्तों से मिलना भी बंद नहीं करते हैं। लगता है, सब लोग ठीक हैं। 

देश से और ख़बरें

तीसरा चरण

कोरोना वायरस पॉजिटिव मामलों की संख्या काफ़ी तेज़ी से बढ़ने लगी। एक दिन में ही संख्या दोगुनी हो गई। कई मौतें हुईं। रेड ज़ोन घोषित किए गए उन 4 क्षेत्रों को क्वैरेंटाइन किया गया जहाँ ज़्यादा मामले आए। (7 मार्च)

इटली के 25 फ़ीसदी हिस्से को क्वैरेंटाइन किया गया। स्कूल और विश्वविद्यालय बंद कर दिए गए, लेकिन बार, रेस्त्राँ और कार्यस्थल फिर भी खुले थे। 

रेड ज़ोन क्षेत्र से उसी रात क़रीब 10 हज़ार लोग निकलते हैं और इटली के दूसरे बाक़ी हिस्से में अपने-अपने क्षेत्रों में अपने घर चले जाते हैं।

इटली के 75 फ़ीसदी हिस्से में लोग वही करना जारी रखते हैं जिस तरह से वे पहले रह रहे थे। वे लोग अभी भी स्थिति की गंभीरता को नहीं समझते हैं।

चौथा चरण

मामले बेतहाशा बढ़ते जाते हैं। सभी जगह स्कूल और विश्वविद्यालय एक महीने के लिए बंद कर दिए जाते हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया जाता है। 

हॉस्पिटल फुल हो जाते हैं। सभी यूनिटों को कोरोना वायरस के मरीजों के लिए रखा जाता है। डॉक्टरों और नर्सों की कमी हो जाती है। सेवानिवृत्त डॉक्टरों और डॉक्टर का कोर्स पूरा होने में दो साल बाक़ी रहने वाले छात्रों को भी लगाया जाता है। शिफ़्ट सिस्टम ख़त्म, जितना ज़्यादा काम कर सकते हैं उतना करिए। डॉक्टर और उनके परिवार वाले भी संक्रमित हो जाते हैं। 

न्यूमोनिया के काफ़ी मामले आ जाते हैं। आईसीयू में जगह कम पड़ जाती है। मरीजों के ज़िंदा रहने की संभावना के आधार पर डॉक्टर इलाज करने को मजबूर होते हैं। 

हॉस्पिटलों में जगह नहीं थी इसलिए लोगों की मौतें हुईं। एक दोस्त के रिश्तेदार की इसलिए मौत हो गई क्योंकि उनका इलाज नहीं हो सका। अफरा-तफरी का माहौल बन गया, सिस्टम कोलैप्स करने लगा। 

सम्बंधित ख़बरें

पाँचवाँ चरण

10 हज़ार लोगों के रेड ज़ोन से भागने के बाद 9 मार्च को पूरे देश को क्वैरेंटाइन के अंदर घोषित किया गया। 

लोग काम पर अभी भी जा रहे थे, शॉपिंग करने जा रहे थे, व्यापार भी खुले थे क्योंकि अर्थव्यवस्था प्रभावित होती। लोगों में डर है, कुछ लोग मास्क लगाए हैं, लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे भी लोग हैं जिन्हें लगता है कि उन्हें कुछ नहीं हो सकता है। बड़े-बड़े समूहों में रेस्त्राँ में जाते हैं, दोस्तों के साथ घूमते हैं, ड्रिंक करते हैं और ऐसे ही काम बदस्तूर जारी रखते हैं। 

छठा चरण

दो दिन बाद घोषणा की जाती है कि सभी तरह के व्यापार, बार, रेस्त्राँ, शॉपिंग सेंटर, सभी तरह की दुकानें आदि बंद की जाती हैं। सिर्फ़ सुपरमार्केट और फ़ार्मेसी खुले हैं। आप बाहर तभी जा सकते हैं जब आपके पास इसके लिए सर्टिफ़िकेट हो। इसमें यह जानकारी देनी होगी कि आपका नाम क्या है, कहाँ से आ रहे हैं, कहाँ जा रहे हैं और क्या काम है। पुलिस चेक प्वाइंट बनाए गए हैं। यदि बिना किसी कारण के बाहर पकड़े जाते हैं तो क़रीब 16000 रुपए का जुर्माना देना होगा। यदि आपको पता है कि आप कोरोना वायरस पॉजिटिव हैं और बाहर घूम रहे हैं तो एक से 12 साल तक जेल की सज़ा भी हो सकती है। 

तीसरे चरण से लेकर छठे चरण में सिर्फ़ पाँच दिन का फासला है। आख़िर में इस ट्वीट में चेताया गया है कि इस समस्या का समाधान लापरवाही बरतने से नहीं होगा। 

यह ट्वीट 15 मार्च को किया गया था। इसके बाद से अब तक स्थिति और बिगड़ी ही है। चीन के बाद इटली सबसे ज़्यादा प्रभावित देश है। वहाँ 31 हज़ार से ज़्यादा लोग कोरोना वायरस से पीड़ित हैं। 2500 से ज़्यादा लोगों की मौतें हो गईं हैं। चीन में जहाँ फ़िलहाल क़रीब 8000 पॉजिटिव केस हैं वहीं इटली में 26000 से ज़्यादा हैं।

ऐसी ही स्थिति होने की वजह से पूरे इटली में कर्फ्यू जैसा माहौल है। लोगों को बाहर निकलने के लिए पुलिस से अनुमति लेनी पड़ती है। हॉस्पिटल में कोरोना वायरस के मरीजों के लिए जगह नहीं है। 'न्यूयॉर्क टाइम्स' की रिपोर्ट के अनुसार, कई हॉस्पिटल के मुर्दाघर भरे हुए हैं। कुछ तो इसलिए कि मृतक के परिजन ख़ुद कोरोना वायरस के इलाज के लिए हॉस्पिटल में भर्ती हैं। जिन कुछ जगहों पर दफनाया जा रहा हैं वहाँ भी लाइनें लगी हैं। इटली के बर्गामो शहर के मेयर जॉर्जियो गोरी ने अध्यादेश जारी कर स्थानीय कब्रिस्तान को बंद कर दिया है। पूरे इटली में पारंपरिक तरीक़े से दफनाने पर पाबंदी है और शवों को अलग तरह से दफनाया जा रहा है।

दुनिया के दूसरे देशों में ऐसी ही स्थिति न आए, इसी को लेकर ट्वीट में सचेत किया गया है।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें