इंडिया गठबंधन ने मंगलवार को आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अपने उम्मीदवार के रूप में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी. सुदर्शन रेड्डी के नाम की घोषणा की। यह फैसला कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर विपक्षी दलों की बैठक के बाद लिया गया। रेड्डी का मुकाबला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार और महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन से होगा। उपराष्ट्रपति चुनाव 9 सितंबर को होना तय है।

वैसे एनडीए ने भी दक्षिण भारत से ही उपराष्ट्रपति प्रत्याशी सीपी राधाकृष्णन को उतारा है। वो आरएसएस बैकग्राउंड से हैं। सांसद भी रहे हैं। उन्होंने पीएम मोदी से लेकर बीजेपी के जिन तमाम नेताओं को जिस अन्दाज़ में धन्यवाद किया, उसकी सोमवार को काफी चर्चा रही है। 
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में रेड्डी की उम्मीदवारी की घोषणा करते हुए कहा, "बी. सुदर्शन रेड्डी भारत के सबसे प्रतिष्ठित और प्रगतिशील जजों में से एक हैं। उनका लंबा और शानदार कानूनी करियर रहा है, जिसमें आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के जज, गुवाहाटी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में उनकी सेवाएं शामिल हैं।" खड़गे ने आगे कहा कि रेड्डी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय के लिए लगातार और साहसी समर्थक रहे हैं।

कौन हैं सुदर्शन रेड्डी

बी. सुदर्शन रेड्डी का जन्म 8 जुलाई 1946 को तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले में हुआ था। उन्होंने 1971 में उस्मानिया विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की और उसी वर्ष आंध्र प्रदेश बार काउंसिल में वकील के रूप में दर्ज हुए। रेड्डी ने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में रिट और सिविल मामलों में प्रैक्टिस की और 1988-90 के दौरान हाई कोर्ट में सरकारी वकील के रूप में कार्य किया। उन्होंने 1990 में केंद्र सरकार के लिए अतिरिक्त स्थायी वकील के रूप में भी छह महीने तक सेवा दी। इसके अलावा, वह उस्मानिया विश्वविद्यालय के कानूनी सलाहकार और स्थायी वकील भी रहे।
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रेड्डी को 2 मई 1995 को आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट का स्थायी जज नियुक्त किया गया। इसके बाद, 5 दिसंबर 2005 को उन्हें गुवाहाटी हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया। 12 जनवरी 2007 को वह सुप्रीम कोर्ट के जज बने और 8 जुलाई 2011 को रिटायर हुए। वह गोवा के पहले लोकायुक्त भी रहे, हालांकि उन्होंने व्यक्तिगत कारणों से सात महीने बाद इस पद से इस्तीफा दे दिया था।

उपराष्ट्रपति चुनाव एक वैचारिक लड़ाई हैः खड़गे

खड़गे ने उपराष्ट्रपति चुनाव को एक वैचारिक लड़ाई करार देते हुए कहा, "यह चुनाव केवल एक पद के लिए नहीं, बल्कि हमारे संवैधानिक मूल्यों और लोकतंत्र की रक्षा के लिए है। सभी विपक्षी दलों ने एकमत होकर बी. सुदर्शन रेड्डी के नाम पर सहमति जताई है, जो लोकतंत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।" तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ'ब्रायन ने भी इस फैसले को सर्वसम्मति से लिया गया निर्णय बताया और कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) ने भी रेड्डी की उम्मीदवारी का समर्थन किया है।
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तिथि 21 अगस्त है, और रेड्डी उसी दिन अपना नामांकन दाखिल करेंगे। विपक्षी दलों के सांसदों की एक बैठक बुधवार को संसद के सेंट्रल हॉल में दोपहर 1 बजे होगी, जिसमें इस रणनीति पर और चर्चा की जाएगी।
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हालांकि, एनडीए के पास 781 सांसदों में कम से कम 422 सदस्यों का समर्थन है, जिसके कारण राधाकृष्णन की जीत लगभग तय मानी जा रही है। फिर भी, विपक्ष ने इस चुनाव को एक मजबूत वैचारिक संदेश देने के अवसर के रूप में देखा है। दक्षिण भारत के सांसदों में इस पर लामबंदी भी हो सकती है। हालांकि दक्षिण से बीजेपी के पास कम सांसद हैं।