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फ़ाइल फोटो

भारत ने अपने नागरिकों को तुरंत यूक्रेन छोड़ने को कहा

भारत ने बुधवार को एक एडवाइजरी जारी कर अपने सभी नागरिकों से तुरंत यूक्रेन छोड़ने के लिए कहा है। इसने यह भी कहा है कि लोग यूक्रेन की यात्रा करने से बचें। सरकार ने यह एडवाइजरी इसलिए जारी की है क्योंकि वहाँ सुरक्षा की स्थिति बिगड़ती जा रही है और हाल में हमले तेज हुए हैं। यूक्रेन की राजधानी कीव को अब निशाना बनाया जा रहा है।

यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने अपने ट्विटर हैंडल पर जारी एक बयान में कहा, 'वर्तमान में यूक्रेन में छात्रों सहित भारतीय नागरिकों को उपलब्ध साधनों से जल्द से जल्द यूक्रेन छोड़ने की सलाह दी जाती है।'

भारत की यह एडवाइजरी तब आई है जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार को उन चार यूक्रेनी क्षेत्रों में मार्शल लॉ लागू किया है जिन पर रूस ने कब्जे का दावा किया है। ख़बर है कि कब्जे वाले शहर खेरसॉन के कुछ निवासी एक हमले की चेतावनी के बाद नाव से भाग गए। खेरसॉन से भागने वाले लोगों की तसवीरों को रूस के सरकारी टीवी द्वारा प्रसारित किया गया था।

बता दें कि कुछ दिन पहले ही रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव पर एक बार फिर एक के बाद एक जबरदस्त मिसाइल से हमले किए हैं। यूक्रेन की ओर से कहा गया था कि रूस ने 10 अक्टूबर की सुबह यूक्रेन पर 84 मिसाइलें दागीं। 

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इससे पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पिछले महीने 'जनमत संग्रह' कराने के बाद यूक्रेन के चार क्षेत्रों को अपने कब्जे में लेने की घोषणा की थी। उन्होंने क्रेमलिन समारोह में डोनेट्स्क, लुहान्स्क, खेरसॉन और ज़ापोरिज्जिया को औपचारिक रूप से रूस में शामिल किया। 
रूस द्वारा कब्जा जमाए जाने के मामले में संयुक्त राष्ट्र महासभा में निंदा प्रस्ताव लाया गया था। भारत ने उस प्रस्ताव से खुद को दूर कर लिया था। भारत ने यूक्रेन-रूस युद्ध की शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र महासभा में लाए गए प्रस्ताव से भी खुद को दूर कर लिया था।

फिर मार्च महीने में भारत ने 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में उस प्रस्ताव में भाग नहीं लिया था जिसने यूक्रेन के ख़िलाफ़ रूस की आक्रामकता की कड़ी निंदा की। तब संयुक्त राष्ट्र में एक सप्ताह से भी कम समय में यह तीसरी बार था जब भारत ने खुद को अलग कर लिया था।

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हालाँकि, भारत ने बाद में एक बार रूस के ख़िलाफ़ भी वोट किया था। यह वोट इस बात के लिए हुआ था कि यूक्रेन के राष्ट्रपति यूएनएससी की बैठक को वीडियो कॉन्फ्रेंस के ज़रिए संबोधित करें या न करें। रूस इस तरह के संबोधन के खिलाफ था। उसी ने वोटिंग की मांग की थी। भारत ने रूस के खिलाफ मतदान किया, जबकि चीन तटस्थ बना रहा था।

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क़मर वहीद नक़वी
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