किसानों और केंद्र सरकार के बीच दिल्ली के विज्ञान भवन में शनिवार को कई घंटों तक चली बैठक बेनतीजा रही और 9 दिसंबर को एक बार फिर किसान नेता और सरकार आमने-सामने बैठेंगे। केंद्र सरकार अब कृषि क़ानूनों में संशोधन के लिए भी तैयार दिख रही है। लेकिन किसानों का साफ कहना है कि उन्हें इन तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करने से कम पर कुछ भी मंजूर नहीं है। 

इसके अलावा किसानों की यह भी मांग है कि एमएसपी पर क़ानून बनाया जाए, पराली जलाने से संबंधित अध्यादेश और बिजली बिल 2020 को भी वापस लिया जाए। 

बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा कि सरकार ने उनकी मांगों पर विचार करने के लिए और वक़्त मांगा है। इस बैठक में भी किसान नेताओं ने सरकार से कहा है कि उन्हें ये कृषि क़ानून किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं हैं। किसानों ने सरकार से कहा कि वह हां या ना में जवाब दे कि वह इन क़ानूनों को रद्द करेगी या नहीं। बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा, ‘आज कई विषयों पर बातचीत हुई। हम लोग चाहते थे कि कुछ विषयों पर हमें सुझाव मिल जाएं लेकिन बातचीत के दौरान यह संभव नहीं हो सका।’ 

एएनआई के मुताबिक़, तोमर ने किसान नेताओं से अपील की कि वे बच्चों और बुजुर्गों से धरना स्थल से घर जाने के लिए कहें। बैठक में किसान संगठनों के नेताओं के अलावा कृषि मंत्री तोमर, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश और कृषि महकमे के आला अफ़सर मौजूद रहे। 

पीएम मोदी ने बुलाई बैठक 

नए कृषि क़ानूनों को रद्द करने पर अड़े किसानों को किस तरह समझाया जाए, यह मोदी सरकार और बीजेपी दोनों को नहीं सूझ रहा है। सरकार और बीजेपी सगंठन के बीच बीते दिनों में कई बार इस मुद्दे पर बैठक हो चुकी है। शनिवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आवास पर बैठक बुलाई। 

बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल मौजूद रहे। सरकार इस बात से परेशान है कि किसानों ने दिल्ली को घेर लिया है और 8 दिसंबर को भारत बंद का एलान कर दिया है। 

टोल पर करेंगे कब्जा

अब किसानों ने एलान किया है कि वे 8 दिसंबर को भारत बंद करेंगे। किसान नेता हरिंदर सिंह लखोवाल ने कहा है कि 8 तारीख़ को किसान दिल्ली की सभी सड़कों को जाम कर देंगे और देश भर में हाईवे पर पड़ने वाले सभी टोल पर कब्जा कर लेंगे और सरकार को टोल नहीं लेने देंगे। इसके अलावा शनिवार को भारत सरकार और कॉरपोरेट घरानों का पुतला भी दहन किया गया। 

सुप्रीम कोर्ट में याचिका 

दूसरी ओर, किसानों को दिल्ली के बॉर्डर्स से तुरंत हटाने के लिए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल की गई है। याचिका में अदालत से मांग की गई है कि वह संबंधित संस्थाओं को निर्देश दे कि वे सड़कों को खोलें और इन प्रदर्शनकारियों को वहां से हटाकर दी गई जगह पर शिफ़्ट करें। 

किसानों को विपक्षी राजनीतिक दलों का भी साथ मिल रहा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर डटे किसानों से बात की है और कहा है कि वह उनके साथ खड़ी हैं। टीएमसी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन शुक्रवार को सिंघू बॉर्डर पहुंचे और काफी देर तक किसानों के बीच रहे। राहुल गांधी भी किसानों के पक्ष में लगातार ट्वीट कर रहे हैं।

बॉर्डर्स पर लग रहा जाम

दूसरी ओर, दिल्ली के टिकरी और सिंघू बॉर्डर पर पंजाब-हरियाणा सहित कई राज्यों के किसानों का जमावड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। किसान आंदोलन के कारण दिल्ली-हरियाणा और दिल्ली-यूपी के तमाम बॉर्डर्स पर भीषण जाम लग रहा है। 

अब हरियाणा के कई जिलों से बड़ी संख्या में किसान और खाप पंचायतें खुलकर किसानों को समर्थन दे रही हैं और पंजाब से भी लगातार संगतें आ रही हैं। यह साफ है कि सरकार को जल्द ही इस मसले का हल निकालना होगा, वरना आम लोगों की मुश्किलों में इजाफा होगा। 

आंदोलन ख़त्म करने की अपील

गुरूवार को हुई बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा था कि केंद्र सरकार किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर क़ानून बनाने की मांग पर विचार करेगी। उन्होंने किसानों से आंदोलन ख़त्म करने की भी अपील की। उन्होंने कहा कि किसानों ने पराली जलाने से संबंधित अध्यादेश और बिजली के क़ानून को लेकर चिंता जताई है और सरकार इन मुद्दों पर भी बातचीत करने के लिए तैयार है। 

तोमर ने कहा था, ‘किसान यूनियनों की चिंता है कि नये क़ानूनों से एग्रीकल्चर मार्केटिंग प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (एपीएमसी) ख़त्म हो जाएंगी। लेकिन भारत सरकार इस बात पर विचार करेगी कि एपीएमसी सशक्त हों और इनका उपयोग बढ़े।’ कृषि मंत्री ने कहा कि मंडी में ट्रेडर का रजिस्ट्रेशन हो, भारत सरकार इसे सुनिश्चित करेगी। 

पंजाबी गायक समर्थन में उतरे 

किसानों के आंदोलन के लिए पंजाब और हरियाणा से दिल्ली बॉर्डर आने वाले किसानों की संख्या बढ़ती जा रही है। इनमें बड़ी संख्या में पंजाबी गायक भी शामिल हैं। ये ऐसे गायक हैं, जिनका दुनिया भर में फैले पंजाबियों के बीच बड़ा मान-सम्मान और फॉलोइंग है और ये दिन रात किसानों के साथ डटे हुए हैं। इनमें कंवर ग्रेवाल और हर्फ चीमा का नाम शामिल है। 

सुनिए, किसान आंदोलन पर चर्चा- 

इंस्टाग्राम पर 13 लाख फ़ॉलोवर वालीं गायिका सोनिया मान हों या नामी पंजाबी गायिका गुरलेज़ अख़्तर, दोनों ही किसानों को ख़ूब सपोर्ट कर रही हैं। पंजाबी गायक हरजीत हरमन ने भी कहा है कि हमें किसानों के साथ खड़े होने की ज़रूरत है। इनके अलावा भी कई नामी सिंगर हैं, जो किसानों को खुलकर सपोर्ट कर रहे हैं। 

बादल, ढींढसा ने अवार्ड लौटाए

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली के बॉर्डर्स पर धरना दे रहे किसानों को चौतरफ़ा समर्थन मिल रहा है। गुरूवार को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत की सियासत के सबसे बुजुर्ग और तजुर्बेकार नेता सरदार प्रकाश सिंह बादल ने सरकार को पद्म विभूषण अवार्ड लौटा दिया। बादल के बाद शिरोमणि अकाली दल (डेमोक्रेटिक) के अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा ने भी पद्म भूषण अवार्ड वापस करने का एलान कर दिया। ढींढसा के साथ बीजेपी चुनावी तालमेल बढ़ा रही थी और माना जा रहा था कि आगामी विधानसभा चुनाव के लिए उनकी पार्टी से गठबंधन कर सकती है। लेकिन किसान आंदोलन ने इस समीकरण को बिगाड़ दिया है।