जस्टिस शेखर कुमार यादव
भट्टाचार्य और सुरेंद्रनाथ के पत्र में कहा गया है, ''लोकतंत्र बहुसंख्यकवाद या धार्मिक बहुसंख्यकवाद नहीं है।'' पत्र में दावा किया गया कि जस्टिस यादव के ''मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ आरोप वीभत्स, कटु और जहरीले प्रकृति के हैं, एक संवैधानिक अदालत के मौजूदा जज के लिए सबसे अशोभनीय और हाईकोर्ट के जज के पद की संवैधानिक शपथ का उल्लंघन है।''
सीपीएम को भी आपत्तिः सीपीआई (एम) पोलित ब्यूरो सदस्य बृंदा करात ने सोमवार को भारत के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को पत्र लिखकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर कुमार यादव के खिलाफ उनकी टिप्पणी के लिए कार्रवाई की मांग की। अपने पत्र में, करात ने कहा कि जस्टिस यादव का भाषण "घृणास्पद भाषण" था और यह संविधान पर उनकी शपथ का उल्लंघन है, जब उन्हें जज के रूप में शपथ दिलाकर शामिल किया गया था।