भारत सरकार ने बार-बार कहा है कि नागरिकता संशोधन क़ानून उसका आंतरिक मामला है और यह किसी भी धर्म के साथ भेदभाव नहीं करता। सरकार ने कहा है कि यूरोप में भी पहले इस तरह के क़ानून बन चुके हैं।
प्रस्ताव में आरोप लगाया गया है कि इस क़ानून में भारत की नागरिकता देने के लिये धर्म को आधार बनाया गया है और नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस को लेकर भी चिंता जताई गई है। कहा गया है कि इससे कई मुसलिम नागरिकों की नागरिकता चली जाएगी।