अभी तक तो देश में कई राज्यों की विधानसभाओं में नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में प्रस्ताव लाये जा रहे थे। लेकिन अब यूरोप की संसद में भी इसके विरोध में प्रस्ताव लाया गया है। इस प्रस्ताव में नागरिकता क़ानून को ‘भेदभाव पर आधारित’ और ‘ख़तरनाक रूप से विभाजन’ करने वाला बताया गया है। प्रस्ताव में भारत सरकार से मांग की गई है कि वह इस क़ानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे आंदोलनकारियों से बात करे और इस क़ानून को वापस लिये जाने की उनकी मांग को सुने। प्रस्ताव सोशल और डेमोक्रेट सांसदों की ओर से लाया गया है। प्रस्ताव को 24 देशों के 154 सांसदों का समर्थन मिला है। बताया जा रहा है कि 29 जनवरी को इस पर चर्चा हो सकती है और 30 जनवरी को इस पर वोटिंग होने की संभावना है।