प्रधानमंत्री मोदी का भाषण मंगलवार को विदेशी अखबारों में पहले पन्नों पर जगह पा गया। लेकिन मोदी की मंगलवार को वही भाषा राजस्थान के टोंक रैली में थी। अमेरिका के प्रसिद्ध अखबार न्यू यॉर्क टाइम्स का शीर्षक है- 'मोदी ने मुसलमानों को 'घुसपैठिया' कहा जो भारत की संपत्ति ले लेंगे। अखबार ने लिखा है- देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक वर्ग के खिलाफ इस्तेमाल की गई सीधी भाषा विश्व मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि के विपरीत है।' न्यू यॉर्क टाइम्स ने लिखा है- ''जब मोदी अपने तीसरे कार्यकाल के लिए प्रचार कर रहे हैं, तब उन्होंने स्वयं ऐसी भाषा का प्रयोग किया, जिससे यह चिंता पैदा हो गई कि इससे मुस्लिमों को निशाना बनाने वाले दक्षिणपंथी निगरानी समूह भड़क सकते हैं, और यह सवाल भी खड़ा हो गया कि किस वजह से उनकी कम्युनिकेशन शैली में बदलाव आया। आम तौर पर, मोदी "मुसलमान" शब्द का उपयोग करने से भी बचते हैं, वे अप्रत्यक्ष रूप से भारत के 20 करोड़ लोगों के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समूह को संदर्भित करने के तरीके ढूंढते हैं।''
मोदी का 'विवादित भाषण' विदेशी मीडिया में छाया, पर आज टोंक में फिर वही बातें
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- 29 Mar, 2025
पीएम मोदी के भाषण को साम्प्रदायिक बताते हुए देश के 2300 लोगों ने केंद्रीय चुनाव आयोग को पत्र लिखे। कांग्रेस पार्टी ने चुनाव आयोग को ज्ञापन दिया। मंगलवार को अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड समेत कई देशों के अखबारों ने मोदी के भाषणों को साम्प्रदायिक बताते हुए कवरेज दी है। लेकिन मोदी हार नहीं मान रहे हैं। उन्होंने मंगलवार को राजस्थान के टोंक जिले में फिर से हनुमान चालीसा का जिक्र किया और कहा कि कांग्रेस राज में लोग हनुमान चालीसा भी नहीं पढ़ पाएंगे। जानिए पूरी कहानीः

राजस्थान के टोंक जिले में मंगलवार को मोदी की सभा