प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कड़ा जवाब दिया। ऐसा पहली बार हुआ है कि मोदी ने इस तरह का जवाब दिया। एमएस स्वामीनाथन शताब्दी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में पीएम मोदी ने 7 अगस्त को कहा कि भारत अपने किसानों के हितों की रक्षा के लिए किसी भी कीमत को चुकाने के लिए तैयार है। मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत अपने किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों के हितों से कोई समझौता नहीं करेगा। दूसरी तरफ नेता विपक्ष राहुल गांधी के ट्रंप पर जोरदार हमले के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी मोदी को पत्र लिखकर कहा कि राष्ट्रहित सुप्रीम है। उन्होंने मोदी सरकार की विदेश नीति और कूटनीति कैसे फेल हुई, इस पर भी रोशनी डाली है।
मोदी ने कहा, "हमारे लिए हमारे किसानों का हित सर्वोपरि है। भारत अपने किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों के हितों पर कभी समझौता नहीं करेगा।" उन्होंने आगे कहा, "मुझे पता है कि इसके लिए मुझे व्यक्तिगत रूप से भारी कीमत चुकानी पड़ेगी, और मैं इसके लिए तैयार हूं। भारत इसके लिए तैयार है।" यह बयान ट्रम्प द्वारा भारतीय वस्तुओं पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाने के बाद आया है, जिससे कुल टैरिफ 50% हो गया है, जो अमेरिका द्वारा किसी भी देश पर लगाया गया अब तक का सबसे ऊंचा टैरिफ है।
ट्रम्प का यह कदम भारत द्वारा रूसी तेल और सैन्य उपकरणों की खरीद को जारी रखने के जवाब में देखा जा रहा है, जिसे अमेरिका रूस-यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा देने वाला मानता है। ट्रम्प ने भारत को "मित्र" कहते हुए कुछ दिन पहले ही मॉस्को के साथ भारत के संबंधों के लिए "दंड" की चेतावनी दी थी। बुधवार को उन्होंने इस चेतावनी को अमल में लाते हुए टैरिफ लागू कर दिया। इसके साथ ही, ट्रम्प ने आने वाले दिनों में "और भी प्रतिबंधों" की भी चेतावनी दी है।
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भारत सरकार ने इस टैरिफ को "अनुचित, अन्यायपूर्ण और अव्यवहारिक" करार देते हुए इसका तीखा विरोध किया है। केंद्र सरकार ने बयान जारी कर कहा कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी। सरकार ने अमेरिका पर दोहरे मापदंड अपनाने का भी आरोप लगाया, क्योंकि अमेरिका स्वयं रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, पैलेडियम और उर्वरक जैसे उत्पाद आयात कर रहा है, फिर भी भारत को विशेष रूप से निशाना बनाया जा रहा है।

खड़गे का मोदी को पत्र- राष्ट्रहित सुप्रीम लेकिन... 

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार 7 अगस्त को पीएम मोदी को पत्र लिखा और कहा कि राष्ट्रहित सबसे ऊपर है लेकिन सरकार की तमाम नीतियों की आलोचना भी की। खड़गे ने ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 50% टैरिफ लगाने के फैसले को "विदेश नीति की आपदा" करार देते हुए मोदी सरकार पर "इससे निपटने के तरीके के बारे में नासमझ" होने का आरोप लगाया। खड़गे ने टैरिफ पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, "सातवें बेड़े की धमकियों से लेकर परमाणु परीक्षणों के प्रतिबंधों तक, हमने अमेरिका के साथ अपने संबंधों को आत्मसम्मान और गरिमा के साथ संभाला है। ट्रंप का 50% टैरिफ ऐसे समय में आया है जब हमारी अपनी कूटनीति विनाशकारी रूप से लड़खड़ा रही है।" 

सरकार ने किसानों, छोटे उद्योगों के लिए कुछ नहीं कियाः खड़गे 

उन्होंने युद्धविराम कराने के ट्रंप के दावों पर ध्यान न देने के लिए मोदी की भी आलोचना की। खड़गे ने विभिन्न भारतीय क्षेत्रों, विशेष रूप से एमएसएमई, कृषि और विनिर्माण पर इन टैरिफ के संभावित प्रभाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने दावा किया, "एमएसएमई, कृषि, डेयरी इंजीनियरिंग सामान, इलेक्ट्रॉनिक सामान, रत्न एवं आभूषण, औषधि निर्माण एवं जैविक उत्पाद, पेट्रोलियम उत्पाद और सूती कपड़े जैसे हमारे क्षेत्रों को सबसे ज़्यादा नुकसान होगा।" उन्होंने ट्रेड डील में सरकार की भूमिका की भी आलोचना करते हुए कहा, "हम सभी इसके बारे में जानते थे। आपने केंद्रीय बजट में कृषि, एमएसएमई और विभिन्न उद्योगों जैसे हमारे प्रमुख क्षेत्रों पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने के लिए कुछ नहीं किया।"

ट्रेड डील क्यों विफल रहीः खड़गे

खड़गे ने मोदी प्रशासन पर पर्याप्त समय होने के बावजूद अमेरिका के साथ व्यापार समझौता करने में विफल रहने का आरोप लगाया। उन्होंने ज़ोर देकर कहा, "आप अमेरिका के साथ व्यापार समझौता करने में विफल रहे। अब ट्रंप हमें डरा-धमका रहे हैं और मजबूर कर रहे हैं - लेकिन आप चुप रहे।" खड़गे ने कहा कि 2024 में भारत का अमेरिका को निर्यात मूल्य लगभग 7.51 लाख करोड़ रुपये था, और नए टैरिफ लगाने से 3.75 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक बोझ पड़ सकता है। ये टैरिफ ट्रंप के कार्यकारी आदेश का हिस्सा हैं। जिसका मकसद रूस के साथ भारत के चल रहे संबंधों के लिए उसे दंडित करना है। खड़गे ने भारत की रणनीतिक स्वायत्तता की नीति पर ज़ोर देते हुए अपनी बात खत्म की और कहा कि कोई भी देश जो ऐसी नीतियों के लिए भारत को दंडित करता है, "वह भारत के मज़बूत ढाँचे को नहीं समझता।"
यह टैरिफ वृद्धि अमेरिका में भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत के रुकने से उत्पन्न बढ़ती निराशा को भी दर्शाती है। भारत ने कृषि बाजार तक पहुंच और डिजिटल व्यापार नियमों पर अमेरिका की शर्तों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद बातचीत विफल हो गई थी।