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विपक्षी सांसद मणिपुर दौरे से लौटे, बोले- राहत शिविरों की 'दयनीय स्थिति'

विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के सांसदों का प्रतिनिधिमंडल रविवार को मणिपुर के दो दिवसीय दौरे से नई दिल्ली लौट आया। ये सांसद मणिपुर में हिंसा और बलात्कार पीड़ित लोगों से मिले, राहत शिविरों के हालात देखे और लोगों से उनकी पीड़ा सुनी। नई दिल्ली में लौटने के बाद प्रतिनिधिमंडल में शामिल अधिकांश सांसदों ने कहा है कि 'राहत शिविरों की दयनीय स्थिति' है जहाँ हिंसा से प्रभावित लोगों को रखा गया है।

इस प्रतिनिधिमंडल ने वहाँ जो हालात देखे उसकी स्थिति से मणिपुर के राज्यपाल को भी अवगत कराया। सांसद दिल्ली लौटने से पहले रविवार को राज्यपाल अनुसुइया उइके से राजभवन में मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन दिया। सांसदों ने मणिपुर के लोगों से मिली तमाम सूचनाएं राज्यपाल को दीं और कहा कि फौरन शांति बहाल करने की ज़रूरत है। उन्होंने ज्ञापन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य में जारी हिंसा पर उनकी चुप्पी उनकी निर्लज्ज उदासीनता को दर्शाती है। 

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प्रतिनिधिमंडल राज्य में जमीनी हकीकत का जायजा लेने के लिए दो दिनों से राज्य में था। मणिपुर मई की शुरुआत से जातीय हिंसा से प्रभावित है। दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का वीडियो हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया। इसके बाद मणिपुर हिंसा की बेहद भयावह तस्वीरें सामने आईं। विपक्ष ने राज्य में शांति स्थापित करने के लिए सरकार पर दबाव बनाना शुरू किया है।

इसी बीच विपक्षी सांसद जमीनी हालात जानने मणिपुर की यात्रा पर गए थे। समझा जाता है कि इस यात्रा का उद्देश्य केंद्र के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में बहुप्रतीक्षित चर्चा से पहले संसद में पीएम मोदी से बयान मांगने के लिए सरकार पर दबाव बढ़ाना है।

कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, 'मणिपुर के लोग अपना घर छोड़कर विस्थापित हो चुके हैं, वे नहीं जानते कि अपने घर वापस कब लौटेंगे। यहां लोगों के लिए खाने और दवाई की सुविधा नहीं है। बच्चों की पढ़ाई रुकी हुई है। लोग एक दूसरे पर विश्वास नहीं कर रहे। लेकिन केंद्र और राज्य सरकार इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही। अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो हालात और बेकाबू हो जाएंगे।' उन्होंने मोदी सरकार पर निशाना भी साधा।

मणिपुर से लौटने के बाद कांग्रेस सांसद फूलोदेवी नेताम ने एएनआई से कहा, '...दो लड़कियों के साथ बलात्कार हुआ। पीड़ितों ने मुझे बताया कि उनके साथ पुलिस के सामने बलात्कार हुआ। लेकिन सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। किसी को भी इतना बेशर्म नहीं होना चाहिए। हम मांग करते हैं वहां जल्द से जल्द सामान्य स्थिति बहाल की जाए। हम एक प्रामाणिक रिपोर्ट बनाएंगे और इसे सदन के सामने पेश करेंगे। हम मांग कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री को मणिपुर पर चर्चा के लिए संसद में आना चाहिए...।'
एनसीपी (शरद पवार गुट) एमपी पीपी मोहम्मद फैज़ल ने कहा, 'हमने जो कुछ भी जाना और सुना है वह हमारी उम्मीदों से परे है। उन लोगों को हुई पीड़ा को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। अगर सरकार ने शुरू में कार्रवाई की होती तो ऐसी स्थिति से बचा जा सकता था, सरकार मूकदर्शक बनी रही और कार्रवाई ठीक से नहीं की। हमने राज्यपाल से मुलाकात की है और उनसे अनुरोध किया है कि वह एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल लाने और इन समुदायों के नेताओं को बुलाने और उन्हें एक साथ बैठाने के लिए सरकार से बात करें'।
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सीपीआई (एम) सांसद एए रहीम ने कहा, 'वहां सभी प्रणालियां ठप हो गई हैं। डबल इंजन वहां पूरी तरह से पंगु हो गया है और फेल हो गया है। राहत शिविरों में कोई राहत नहीं है। मैं दोनों- केंद्र सरकार और राज्य सरकार से चाहूंगा कि वे शांति बहाल करें। प्रधानमंत्री नफरत की राजनीति के कारण वहां नहीं जा सकते। यह मणिपुर में भाजपा और आरएसएस के नेतृत्व में राजनीतिक ध्रुवीकरण का परिणाम है'।

रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने कहा, 'मणिपुर की स्थिति अभी भी खराब हो रही है। राहत शिविरों में लोगों की ठीक से देखभाल नहीं की जा रही है। राहत शिविरों में सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने की तत्काल आवश्यकता है।'

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क़मर वहीद नक़वी
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