क्या भारत आतंकवाद के ख़िलाफ़ किसी बड़े अभियान की तैयारी में है? पहलगाम हमले पर पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच प्रधानमंत्री मोदी की रक्षा मंत्री, तीनों सेना के प्रमुखों और एनएसए के साथ उच्च स्तरीय बैठक के मायने क्या हैं? कहा जा रहा है कि इस बैठक का मक़सद पहलगाम आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करना और हमले के जवाब में ठोस रणनीति तैयार करना था। रिपोर्ट है कि बैठक ख़त्म होने के तुरंत बाद गृह मंत्री अमित शाह प्रधानमंत्री के आवास पर पहुँचे। मोहन भागवत के भी पीएम मोदी से उनके आवास पर मिलने की रिपोर्ट है।

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा ली गई बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यानी एनएसए अजीत डोभाल, चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ़ यानी सीडीएस जनरल अनिल चौहान और तीनों सेना प्रमुख- थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ़ मार्शल अमर प्रीत सिंह शामिल थे। डेढ़ घंटे से अधिक समय तक बैठक चली।

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यह बैठक भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और भारत की आतंकवाद के ख़िलाफ़ ज़ीरो टॉलरेंस नीति के संदर्भ में अहम है। यह इसलिए भी अहम है कि एक दिन पहले ही पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बयान आया था जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत उनके देश पर कभी भी हमला कर सकता है और उनका देश इसके लिए तैयार है। इससे पहले पाक के ही एक अन्य मंत्री का बयान आया था कि पाकिस्तान के 130 परमाणु हथियार भारत के ख़िलाफ़ तैयार हैं।

ये घटनाक्रम तब चल रहे हैं जब दोनों देशों के बीच 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकवादी हमले के बाद तनाव बढ़ गया है। हमले में 26 लोग मारे गए। हमले की ज़िम्मेदारी पहले द रेसिस्टेंस फ्रंट यानी टीआरएफ ने ली थी, जिसे लश्कर-ए-तैयबा का एक सहयोगी संगठन माना जाता है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इस हमले के पीछे पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद और कराची स्थित सुरक्षित ठिकानों का हाथ होने का दावा किया है।

पहलगाम हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच राजनयिक तनाव को चरम पर पहुँचा दिया है। भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया, पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द किए, और वाघा सीमा को बंद कर दिया।

इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी भारतीय हवाई क्षेत्र पर प्रतिबंध लगाया और शिमला समझौते को निलंबित करने की घोषणा की। इन्हीं घटनाक्रमों के बीच मंगलवार को पीएम मोदी की इस बैठक को भारत की जवाबी कार्रवाई और भविष्य की रणनीति के लिए अहम माना जा रहा है।

मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पीएम को जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा तैयारियों और सैन्य बलों की तैनाती के बारे में विस्तृत जानकारी दी। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने क्षेत्र में आतंकवाद विरोधी अभियानों की स्थिति और हमले के बाद शुरू की गई तलाशी और अन्य कार्रवाइयों का ब्योरा दिया। रिपोर्ट है कि बैठक में यह भी चर्चा हुई कि कैसे सैन्य बलों की युद्ध तत्परता को और बढ़ाया जाए।

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एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि प्रधानमंत्री ने दोहराया कि 'यह हमारा राष्ट्रीय संकल्प है कि आतंकवाद को करारा जवाब दिया जाएगा' और कहा कि उन्हें भारतीय सेना पर पूरा विश्वास है। 

अन्य रिपोर्टों के अनुसार बैठक में एनएसए अजीत डोभाल ने खुफिया जानकारी और पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी नेटवर्क पर कार्रवाई की रणनीति पर जोर दिया। रिपोर्टों के अनुसार बैठक के दौरान पीएम मोदी ने सुरक्षा बलों को आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पूरी आज़ादी देने का निर्देश दिया। पीएम ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि हमलावरों और उनके समर्थकों को दुनिया के किसी भी कोने से ढूंढकर सजा दी जाएगी। उन्होंने रविवार को ‘मन की बात’ में भी कहा था, 'पहलगाम हमले के अपराधियों और उनके संरक्षकों को सबसे कड़ा जवाब दिया जाएगा।'

पीएम मोदी की यह बैठक भारत की आतंकवाद के ख़िलाफ़ ज़ीरो टॉलरेंस नीति को मज़बूत करती है। पहलगाम हमला ने भारत की सुरक्षा तैयारियों और खुफिया तंत्र पर सवाल उठाए हैं। बैठक में सैन्य और खुफिया एजेंसियों के बीच समन्वय बढ़ाने और आतंकवादियों के ख़िलाफ़ त्वरित कार्रवाई पर जोर दिया गया।

हालाँकि, भारत के सामने चुनौती केवल सैन्य कार्रवाई तक सीमित नहीं है। पाकिस्तान के साथ राजनयिक तनाव और सिंधु जल संधि जैसे समझौतों का निलंबन क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित कर सकता है। 

बैठक के बाद यह साफ़ है कि भारत आतंकवादियों और उनके समर्थकों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की तैयारी में है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पहले ही वादा किया है कि 'हमलावरों और उनके आकाओं को निशाना बनाया जाएगा।'

वैश्विक स्तर पर, फ्रांस, इटली, और इजरायल जैसे देशों ने भारत के साथ एकजुटता दिखाई है, जबकि चीन ने हमले की निंदा की, लेकिन पाकिस्तान के प्रति नरम रुख अपनाया। डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों देशों को आपस में मामले सुलझाने पर जोर दिया है।