क्या पाकिस्तानी सेना के पास ऐसी ताक़त है कि भारतीय राफ़ेल जेट को मार गिराए? कम से कम लंदन स्थित अख़बार द टेलीग्राफ़ ने एक रिपोर्ट में चौंकाने वाला दावा किया है। रिपोर्ट में दावा किया गया कि कम से कम एक राफेल विमान को हवा में मार गिराया गया। लेकिन सूत्रों के हवाले से रिपोर्टें पाकिस्तान के दावे को खारिज करने वाली आई हैं। हालाँकि, दो राफ़ेल को गिराने के पाकिस्तान के दावे पर सेना के आधिकारिक बयान में इतना कहा गया कि 'हम कॉम्बैट की स्थिति में हैं और नुक़सान इसका एक हिस्सा है। आपको जो सवाल पूछना चाहिए वह यह है कि क्या हमने अपने उद्देश्य हासिल कर लिए हैं?'

तो यदि भारतीय राफ़ेल को मार गिराने का पाकिस्तान का यह दावा सही है तो उसने यह कैसे किया? चीन की मदद से? तो क्या चीन ने पश्चिमी देशों के सबसे उन्नत राफ़ेल जैसे फाइटेर जेट को मात देने की तकनीक विकसित कर ली है? यदि ऐसा है तो क्या रक्षा तकनीक के क्षेत्र में चीन की यह तकनीक पश्चिमी देशों के लिए बड़ी चुनौती है? और आख़िर चीन ने यह कैसे कर दिखाया?

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इन सवालों का जवाब द टेलीग्राफ़ की रिपोर्ट में दिया गया है। यह रिपोर्ट पिछले हफ़्ते की है। ख़बर है कि भारतीय वायुसेना ने पश्चिमी सीमा पर फाइटर जेट को इकट्ठा किया था। मक़सद था पाकिस्तानी रक्षा को तोड़ना और सामरिक वर्चस्व की छवि को मज़बूत करना। लेकिन इस बार स्थिति पहले जैसी नहीं थी। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारतीय वायुसेना को पता था कि सीमा के पार क्या हो रहा है। रिपोर्ट है कि चीन के J-10C लड़ाकू विमान चुपके से उड़ान भर रहे थे। और PL-15 मिसाइलें भी थीं जो 300 किमी से अधिक की रेंज और सुपरसोनिक यानी आवाज़ की गति से भी तेज़ हमला करती हैं।

रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने संसद में दावा किया, 'हमारे जे-10सी विमानों ने तीन भारतीय राफेल विमानों को मार गिराया, जो फ्रांस निर्मित हैं।' इस बीच रक्षा से जुड़े सर्कल में राफेल से जुड़ी ख़बर चलने लगी। इसके बाद राफ़ेल बनाने वाली कंपनी दसॉ एविएशन के शेयर की क़ीमतें गिर गईं और चीन की कंपनी के शेयर की क़ीमतों में जबर्दस्त उछाल आया। बहरहाल, भारत ने इस दावे पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, फ्रांसीसी खुफिया सूत्रों ने सीएनएन को पुष्टि की कि कम से कम एक राफ़ेल विमान तबाह हुआ और किसी भी युद्ध में राफ़ेल को पहली बार नुक़सान हुआ है।

भारतीय वायुसेना के पास 36 राफेल एफ3आर विमान हैं, जो इस मॉडल का सबसे उन्नत संस्करण है।

चीन की भूमिका और जे-10सी की ताक़त

अमेरिकी अधिकारियों ने गुरुवार को रॉयटर्स को बताया कि उनको पूरी आशंका है कि एक जे-10सी ने हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों का उपयोग करके दो भारतीय विमानों को मार गिराया। जे-10सी को 2003 में पहली बार सेवा में शामिल किया गया था। इसको 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान माना जाता है। यह ब्रिटिश यूरोफाइटर टाइफून के समकक्ष और अमेरिकी एफ-35 जैसे पांचवीं पीढ़ी के विमानों के क़रीब है।

द टेलीग्राफ़ की रिपोर्ट के अनुसार इस हमले में चीनी निर्मित पीएल-15 मिसाइल का इस्तेमाल किया गया। इसे भारतीय टेलीविजन और सोशल मीडिया पर दिखाए गए मलबे में देखा गया। यह मिसाइल जे-10सी द्वारा इस्तेमाल की जाती है। कहा गया कि पहली बार युद्ध में इसका इस्तेमाल किया गया। इसकी खासियत यह है कि यह पायलट की नज़रों से भी दूर टार्गेट पर हमला कर सकती है। पीएल-15ई पाकिस्तान को निर्यात की गई है। यह 145 किलोमीटर तक की दूरी तक मार कर सकती है।

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पीएल-15 मिसाइल की खासियत क्या?

द टेलीग्राफ़ की रिपोर्ट के अनुसार रक्षा विशेषज्ञ फैबियन हॉफमैन के अनुसार, पीएल-15 मिसाइल की गति हाइपरसोनिक से अधिक हो सकती है। यह एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे यानी एईएसए रडार से गाइडेड है। यह मिसाइल अपने टार्गेट के क़रीब पहुंचने पर खुद का रडार सक्रिय करती है और सटीकता के साथ हमला करती है। इसका डुअल-पल्स मोटर इसे अंतिम 10 किलोमीटर में अतिरिक्त गति देता है।

डुअल-पल्स मोटर का मतलब है कि शुरुआती विस्फोट का असर कम होने के बाद लक्ष्य से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर दूसरा विस्फोट होता है जो मिसाइल को फिर से तेज़ गति देता है। इससे मिसाइल ज़्यादा घातक हो जाती है।

चीन की भूमिका

रिपोर्टों में कहा गया है कि चीन ने पाकिस्तान को न केवल उन्नत जे-10सी लड़ाकू विमान और पीएल-15 मिसाइलें उपलब्ध कराईं, बल्कि रीयल-टाइम डेटा लिंक और AWACS यानी एयरबोर्न वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम के ज़रिए भी सहायता दी। एक एक्स पोस्ट में दावा किया गया कि चीन ने अपनी सीमा के भीतर रहते हुए AWACS के माध्यम से पाकिस्तानी वायुसेना को भारतीय विमानों की गतिविधियों की जानकारी दी, जिससे पाकिस्तान को रणनीतिक बढ़त मिली। इस जानकारी ने पाकिस्तान को भारतीय विमानों पर सटीक हमला करने में मदद की, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय विमान को नुकसान पहुंचा।

इस पूरे मामले में रक्षा विश्लेषकों का कहना है कि इस घटना को तकनीकी लड़ाई के रूप में ज़्यादा नहीं देखना चाहिए, क्योंकि पायलट की ग़लती या युद्ध के नियम भी ऐसी स्थिति की वजह हो सकते हैं।

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चीन के विदेश मंत्रालय ने इस मामले से अनभिज्ञता जताई और दोनों पक्षों से संयम बरतने को कहा। हालांकि, बीजिंग में कुछ लोग इस घटना को चीनी हथियारों के लिए एक और 'विस्फोटक परीक्षण' के रूप में देख रहे हैं। इस घटना ने चीनी सैन्य प्रौद्योगिकी की ताक़त का वैश्विक मंच पर प्रदर्शन किया है।

भारत के लिए यह घटना एक चेतावनी है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को अपनी वायुसेना को और आधुनिक बनाने, मिसाइल डिफेंस सिस्टम में निवेश करने और क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ संबंध मज़बूत करने की ज़रूरत है। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाकर भारत राजनयिक दबाव बना सकता है।

पाकिस्तान द्वारा चीनी जे-10सी और पीएल-15 मिसाइलों के उपयोग से कथित तौर पर भारतीय राफ़ेल को मार गिराने के दावे ने क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति को और जटिल बना दिया है। यह घटना न केवल भारत-पाकिस्तान तनाव को बढ़ाएगी, बल्कि वैश्विक हथियार बाज़ार और भू-राजनीति पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा।