पूर्व भारतीय क्रिकेटर और पूर्व कांग्रेस सांसद अज़हरूद्दीन भी इस यात्रा में शामिल हुए थे। तेलंगाना में कुछ महीनों के बाद विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। भारत जोड़ो यात्रा अब तक केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में कई जगहों का सफर तय कर चुकी है। कांग्रेस ने कहा है कि यात्रा में शामिल लोगों का उत्साह अदभुत है और सभी राज्यों के लोगों का जोरदार समर्थन इस यात्रा को मिल रहा है।
उद्धव और पवार होंगे शामिल
एनसीपी के मुखिया शरद पवार और शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे दल के प्रमुख उद्धव ठाकरे कांग्रेस के द्वारा निकाली जा रही भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होंगे। भारत जोड़ो यात्रा 7 नवंबर को महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में प्रवेश करेगी। माना जा रहा है कि पूर्व कैबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे भी भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हो सकते हैं। महाराष्ट्र में नवंबर 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी ने मिलकर महा विकास आघाडी सरकार बनाई थी लेकिन इस साल जून में शिवसेना में हुई बगावत के बाद यह सरकार गिर गई थी।
भारत जोड़ो यात्रा 1500 किलोमीटर का सफर पूरा कर चुकी है।
कुछ दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी यात्रा में शामिल हुई थीं और उनके इस यात्रा में शामिल होने से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में बेहद उत्साह दिखाई दिया। कांग्रेस कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा निकाल रही है। यह यात्रा 3570 किमी. लंबी है।
यात्रा में शामिल कार्यकर्ताओं के हाथों में तिरंगा है। कांग्रेस नेताओं के मुताबिक, यात्रा के दौरान रास्ते में मिलने वाले लोगों में भी जबरदस्त उत्साह है। इस दौरान राहुल गांधी तमाम संगठनों के लोगों और सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों से लगातार बातचीत कर रहे हैं।
ऐसी और यात्राएं निकालेगी पार्टी
कांग्रेस ने एलान किया है कि वह ऐसी ही और यात्राएं निकालेगी। उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में भारत जोड़ो यात्रा निकालने के अलावा गुजरात के पोरबंदर से अरुणाचल प्रदेश के परशुराम कुंड तक एक और यात्रा निकालने की योजना पार्टी बना रही है।
इन अहम शहरों से गुजरेगी यात्रा
भारत जोड़ो यात्रा तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू हुई है और तिरुवनंतपुरम, कोच्चि, नीलांबुर, मैसूर, बेल्लारी, रायचूर, विकाराबाद, नांदेड़, जलगांव, इंदौर, कोटा, दौसा, अलवर, बुलंदशहर, दिल्ली, अंबाला, पठानकोट से होते हुए जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर पहुंचेगी और यहीं पर यात्रा को समाप्त होना है।
2024 का चुनाव
कांग्रेस के लिए 2024 का लोकसभा चुनाव करो या मरो की स्थिति है। लगातार चुनावी हार और कई नेताओं के धड़ाधड़ पार्टी छोड़ने के कारण पार्टी बुरी तरह पस्त हो चुकी है। ऐसे में कोई बड़ी उम्मीद नहीं दिखाई देती कि वह बीजेपी को अपने दम पर चुनौती दे सकती है। लेकिन राजनीति में असंभव कुछ नहीं होता। कांग्रेस अगर 2023 के चुनावी राज्यों में अच्छा प्रदर्शन करे और विपक्षी दलों के साथ तालमेल बनाते हुए एक मजबूत फ्रंट बनाए तो वह 2024 के चुनाव में एनडीए को सत्ता से हटा भी सकती है।