क्या भारत ऐसे हालातों में रूस और चीन के साथ त्रिकोणीय गठबंधन में आ सकता है जिसमें भारत के दुश्मन देश पाकिस्तान को चीन खुलकर मदद कर रहा है और कुछ दिन पहले ही रूस ने भी पाकिस्तान के साथ एक सौदा किया है? फिर रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने रूस-भारत-चीन के उस त्रिकोणीय फ़ॉर्मेट को फिर से शुरू करने की बात क्यों की है जो क़रीब पाँच साल पहले भारत-चीन के बीच विवाद बढ़ने के बाद ठंडे बस्ते में चला गया था? आख़िर, अब इस पर रूस अचानक से सक्रिय क्यों हो गया और यदि फिर से यह शुरू होता है तो इसका भारत को फ़ायदा होगा या नुक़सान?
इन सवालों के जवाब से पहले यह जान लें कि आख़िर रूसी विदेश मंत्री ने कहा क्या है। सर्गेई लावरोव ने रूस-भारत-चीन यानी आरआईसी त्रिकोणीय फ़ॉर्मेट को फिर से शुरू करने में मॉस्को की गहरी रुचि को दोहराया है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब वैश्विक जियो-पॉलिटिक्स में बदलाव आ रहे हैं और पहलगाम आतंकी हमले व ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाक तनाव से अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में नए समीकरण उभर रहे हैं।