सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा फ़ैसला दिया है जिससे राज्यों का खजाना बढ़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला दिया है कि राज्य 'औद्योगिक शराब' पर कर लगा सकते हैं और उस पर वे क़ानून भी बना सकते हैं। शीर्ष अदालत की 9 जजों की बेंच ने कहा कि यह राज्यों का अधिकार है और इसे छीना नहीं जा सकता है। इसने 1990 में 7 जजों की बेंच के फ़ैसले को पलट दिया।
'औद्योगिक शराब' पर राज्यों का अधिकार नहीं छीना जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
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- 23 Oct, 2024
औद्योगिक शराब पर सर्वोच्च न्यायालय ने राज्यों को राहत दी है। जानए, आख़िर औद्योगिक शराब क्या है और सात जजों के फ़ैसले को अब 9 जजों की बेंच ने किस आधार पर पलटा।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले में क्या कहा है और जजों ने इस पर क्या राय दी है, यह जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर औद्योगिक शराब क्या है। औद्योगिक शराब इंसानों के पीने के लिए नहीं होता है। दरअसल, यह उद्योग में इस्तेमाल होने वाला इथेनॉल का एक अशुद्ध रूप है। इसे आम तौर पर सॉल्वेंट यानी विलय करने वाली चीज के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इंसानों को ग़लती से भी या किसी भी रूप में पीने से रोकने के लिए औद्योगिक अल्कोहल को एक उल्टी पैदा करने वाले पदार्थ के साथ बेचा जाता है ताकि इसे कोई पी न पाए। इस तरह के अल्कोहल को विकृत अल्कोहल के रूप में भी जाना जाता है।