आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने संविधान की प्रस्तावना से 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द हटाने की सनसनीखेज मांग उठाकर देश में नई बहस छेड़ दी है। उन्होंने आपातकाल के दौरान जोड़े गए इन शब्दों को ग़ैर-ज़रूरी बताया और भारत की सांस्कृतिक पहचान पर जोर देते हुए कहा कि ये भारत की सभ्यतागत भावना के अनुरूप नहीं हैं। इस बयान ने देश में एक नई राजनीतिक बहस को छेड़ दिया है।
संविधान की प्रस्तावना से 'समाजवादी', 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द हटाए जाएँ: RSS नेता होसबाले
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- 26 Jun, 2025
आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने संविधान की प्रस्तावना से 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द हटाने की मांग क्यों की? जानिए उनके तर्क, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और उठे राजनीतिक विवाद।

नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में होसबाले ने 1975 के आपातकाल का ज़िक्र किया, जब 42वें संशोधन के माध्यम से संविधान की प्रस्तावना में 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द जोड़े गए थे। उन्होंने सवाल उठाया, 'क्या समाजवाद कभी भारत की सभ्यतागत भावना के अनुरूप था? क्या धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा हमारे देश की संस्कृति और परंपराओं के साथ मेल खाती है?' उन्होंने तर्क दिया कि ये शब्द उस समय की राजनीतिक हालात का परिणाम थे और इन्हें संविधान में शामिल करना ग़ैर-ज़रूरी था।