SC Collegium Justice Pancholi Controversy: सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने जस्टिस विपुल एम. पंचोली की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति की सिफारिश का विरोध किया है। उन्होंने पारदर्शिता और न्यायिक विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। जानिए पूरा विवादः
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बी.वी. नागरत्ना
सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम ने पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विपुल एम. पंचोली को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त करने की सिफारिश की। लेकिन जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने कड़ा विरोध जताया है। पांच सदस्यीय कॉलिजियम में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बी आर. गवई, जस्टिस सूर्य कांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस नागरत्ना शामिल हैं। कॉलिजियम जस्टिस पंचोली और बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस आलोक अराधे की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति की सिफारिश की थी। हालांकि, फैसला 4-1 से है। लेकिन जस्टिस नागरत्ना की असहमति बहुत महत्वपूर्ण है। उसे जानने की ज़रूरत है।
जस्टिस नागरत्ना की आपत्ति पर पहले मान गया था सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस नागरत्ना ने अपने असहमति नोट में कहा कि जस्टिस पंचोली की नियुक्ति न केवल "न्याय प्रशासन के लिए उल्टा असर डालेगी" बल्कि कॉलिजियम सिस्टम की विश्वसनीयता को भी खतरे में डालेगी। उन्होंने जस्टिस पंचोली के गुजरात हाईकोर्ट से पटना हाईकोर्ट में जुलाई 2023 में हुए ट्रांसफर के हालात का हवाला देते हुए इस नियुक्ति पर सवाल उठाए। सूत्रों के अनुसार, जस्टिस नागरत्ना ने मई में ही जस्टिस पंचोली की नियुक्ति के विचार पर अपनी आपत्ति जताई थी। तब कॉलिजियम ने उनकी जगह गुजरात हाईकोर्ट के वरिष्ठ जज जस्टिस एन.वी. अंजारिया को सुप्रीम कोर्ट के लिए चुना था।तीन महीने में जस्टिस पंचोली का नाम कैसे फिर से आ गया
जस्टिस नागरत्ना ने अपने नोट में इस बात पर हैरानी जताई कि तीन महीने के भीतर ही जस्टिस पंचोली का नाम फिर से सामने आ गया। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसी नियुक्ति से कॉलिजियम की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर सवाल उठ सकते हैं। उनके नोट में यह भी उल्लेख किया गया कि यदि जस्टिस पंचोली की नियुक्ति होती है, तो वे अक्टूबर 2031 से मई 2033 तक चीफ जस्टिस के रूप में कार्यरत हो सकते हैं, जो उनके अनुसार संस्थान के हित में नहीं होगा।
जस्टिस नागरत्ना ने यह भी अनुरोध किया कि उनकी असहमति को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया जाए, ताकि कॉलिजियम की निर्णय प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे। यह कदम हाल के दिनों में सुप्रीम कोर्ट के पारदर्शी निर्णय लेने पर ज़ोर देने के मद्देनज़र महत्वपूर्ण है।
कॉलिजियम ने जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस पंचोली की नियुक्ति की सिफारिश सोमवार को की थी। इनकी नियुक्ति के बाद सुप्रीम कोर्ट में पूर्ण स्वीकृत संख्या 34 जजों तक पहुंच जाएगी। जस्टिस पंचोली की नियुक्ति को मंजूरी मिलने पर वे जस्टिस जॉयमाल्या बागची के 2031 में रिटायर होने के बाद चीफ जस्टिस बन सकते हैं।
जस्टिस नागरत्ना ने अपने इस असहमति नोट के जरिए एक बार फिर अपनी निष्पक्षता और साहस का परिचय दिया है। उनकी यह टिप्पणी न केवल कॉलिजियम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है, बल्कि न्यायिक नियुक्तियों में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को भी रेखांकित करती है।