डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ़ दबाव और अमेरिका के साथ ख़राब हो रहे रिश्तों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर लंबी बातचीत की। इसमें दोनों नेताओं ने भारत-रूस विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और मज़बूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई। यह बातचीत
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर रूस से तेल खरीद के लिए लगाए गए 50% टैरिफ़ के दो दिन बाद हुई है। प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन को इस वर्ष के अंत में 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए भारत आने का न्योता भी दिया, जिसे पुतिन ने स्वीकार कर लिया है। तो क्या इस बातचीत ने भारत-रूस के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का संदेश देने के साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति को भी संदेश दे दिया है?
यह फोन कॉल ऐसे समय में हुई जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड
ट्रंप ने भारत पर रूस से तेल आयात को लेकर कड़े टैरिफ लागू किए हैं। ट्रंप भारत पर लगातार दबाव बना रहे हैं। 6 अगस्त 2025 को ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से भारतीय सामानों पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाया, जिससे कुल टैरिफ 50% हो गया। ट्रंप ने दावा किया कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर और इसे खुले बाजार में बेचकर यूक्रेन युद्ध को वित्तपोषित कर रहा है। उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को "मृत" करार दिया और भारत-पाकिस्तान युद्धविराम में मध्यस्थता का दावा किया, जिसे भारत ने लगातार खारिज किया है।
भारत ने ट्रंप के टैरिफ को ग़लत, अन्यायपूर्ण और अतार्किक बताते हुए इसका कड़ा विरोध किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने हाल ही में कहा था कि भारत की विदेश नीति स्वतंत्र है और इसे किसी तीसरे देश के नज़रिए से नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने भारत-रूस संबंधों को टाइम-टेस्टेड और स्थिर करार दिया। इसी हफ़्ते भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यानी एनएसए अजीत डोभाल रूस में पहुँचे और राष्ट्रपति पुतिन के साथ मुलाक़ात की। इसी बीच मोदी और पुतिन की बातचीत ने भारत की रणनीतिक स्थिति को और साफ़ कर दिया।
पुतिन के साथ क्या बातचीत हुई?
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने एक्स पोस्ट में कहा, 'मेरी राष्ट्रपति पुतिन के साथ बहुत अच्छी और विस्तृत बातचीत हुई। मैंने यूक्रेन के ताजा घटनाक्रमों पर जानकारी साझा करने के लिए उनका धन्यवाद दिया। हमने अपने द्विपक्षीय एजेंडे में प्रगति की समीक्षा की और भारत-रूस विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने की प्रतिबद्धता दोहराई। मैं इस वर्ष के अंत में राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा की मेजबानी करने के लिए उत्सुक हूं।'
पुतिन ने मोदी को यूक्रेन में चल रहे युद्ध की ताज़ा स्थिति से अवगत कराया। रिपोर्ट है कि पीएम मोदी ने भारत की स्थिति दोहराई कि यूक्रेन संकट का समाधान युद्ध के मैदान में नहीं, बल्कि शांतिपूर्ण बातचीत के माध्यम से होना चाहिए। भारत ने पहले भी रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थता की पेशकश की थी और मार्च 2025 में पुतिन ने मोदी, ट्रंप और ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा को शांति प्रयासों के लिए धन्यवाद दिया था।
भारत-रूस द्विपक्षीय संबंध
मोदी ने पुतिन को 23वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन के लिए भारत आने का न्योता दिया, जिसे पुतिन ने स्वीकार कर लिया। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने मार्च 2025 में कहा था कि दोनों देशों के बीच राजनीतिक संवाद तेजी से आगे बढ़ रहा है और पुतिन की यात्रा की तैयारियां जोरों पर हैं। भारत और रूस ने 2025 तक 30 बिलियन डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार के लक्ष्य को पहले ही हासिल कर लिया है और अब 50 बिलियन डॉलर का नया लक्ष्य निर्धारित किया है।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की मॉस्को यात्रा
इस फोन कॉल से एक दिन पहले 7 अगस्त 2025 को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यानी एनएसए अजीत डोभाल ने मॉस्को में पुतिन से मुलाकात की थी। डोभाल ने पुतिन को भारत की ओर से सहयोग की प्रतिबद्धता दोहराई और उनकी भारत यात्रा का न्योता दिया। उन्होंने रूसी सुरक्षा परिषद के सचिव सर्गेई शोइगु के साथ भी बातचीत की, जिसमें एक न्यायसंगत और टिकाऊ विश्व व्यवस्था के लिए भारत-रूस सहयोग पर जोर दिया गया। डोभाल की यह यात्रा ट्रंप के टैरिफ़ के बाद भारत-रूस संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम है।
ट्रंप के टैरिफ़ और भारत की स्थिति
ट्रंप के टैरिफ ने भारत को एक मुश्किल स्थिति में डाल दिया है। भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल उपभोक्ता है और रूस अब भारत के तेल आयात का 30% से अधिक हिस्सा देता है, जो 2021-22 में 1% से भी कम था। भारत का तर्क है कि रूसी तेल की खरीद उसकी ऊर्जा सुरक्षा के लिए ज़रूरी है और वैश्विक बाजार की अस्थिरता के कारण इसे तुरंत बंद करना संभव नहीं है।
भारत अमेरिका संबंध का क्या?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्रंप के टैरिफ को 'आर्थिक ब्लैकमेल' करार दिया और कहा कि यह भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को कमजोर करने की कोशिश है। उन्होंने सरकार से इस मुद्दे पर संसद में चर्चा की मांग की।
पूर्व भारतीय विदेश सचिव श्याम सरन ने इंडियन एक्सप्रेस में लिखा है कि ट्रंप का यह कदम भारत-अमेरिका संबंधों के लिए एक बड़ा झटका है, खासकर तब जब दोनों देशों ने फरवरी 2025 में 2030 तक 500 बिलियन डॉलर के व्यापार का लक्ष्य निर्धारित किया था। उन्होंने यह भी नोट किया कि रूसी तेल के एक अन्य बड़े खरीदार चीन पर ट्रंप ने समान टैरिफ़ नहीं लगाया, जो भारत के प्रति दोहरे मापदंड को दिखाता है।
रूस का समर्थन
रूस ने भारत के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने हाल ही में कहा था, 'संप्रभु देशों को अपने व्यापारिक साझेदार चुनने का अधिकार है'। उन्होंने रूस के साथ व्यापार संबंधों को तोड़ने के लिए देशों पर दबाव डालने को गैरकानूनी बताया।
मोदी-पुतिन की बातचीत का संदेश
मोदी और पुतिन की यह बातचीत भारत की स्वतंत्र विदेश नीति और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था में उसकी स्थिति को दिखाती है। भारत ने साफ़ किया है कि वह अपनी ऊर्जा और रक्षा ज़रूरतों के लिए रूस के साथ अपने पुराने संबंधों को बनाए रखेगा। पुतिन की प्रस्तावित भारत यात्रा और अगस्त 2025 में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में मोदी की चीन यात्रा भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को और मजबूत करेगी। एससीओ में उनकी पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अनौपचारिक मुलाकात हो सकती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बातचीत ने ट्रंप के टैरिफ दबाव के बीच भारत-रूस संबंधों की मजबूती को दिखाया है। पुतिन की भारत यात्रा और आगामी एससीओ शिखर सम्मेलन इस साझेदारी को और मजबूत करने के मौक़े देंगे। यह घटनाक्रम भारत की रणनीतिक स्थिति को वैश्विक मंच पर और सशक्त बनाता है, जबकि ट्रंप के टैरिफ ने भारत-अमेरिका संबंधों में एक नया तनाव पैदा किया है।