राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर बेहद गंभीर और सनसीखेज आरोप लगाया है। क्या चुनाव आयोग वोट चोरी करा रहा है? जानिए, क्या है पूरा मामला और विपक्ष की रणनीति।
लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल ने अब तक का सबसे तीखा हमला बोलते हुए सनसनीखेज दावा किया है कि चुनाव आयोग बीजेपी के लिए वोट चोरी करवा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि वोट चोरी में शामिल लोगों को ढूंढ निकाला जाएगा और उन्हें देशद्रोह के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा भले ही वे रिटायर हो जाएं। यह बयान कुछ चुनावों में कथित अनियमितताओं की छह महीने की जाँच के बाद आया है, जिसे कांग्रेस ने स्वतंत्र रूप से करवाया। इस बयान ने देश की सियासत में हड़कंप मचा दिया है और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
राहुल गांधी का बयान
संसद भवन परिसर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान राहुल गांधी ने कहा, 'हमारे पास सबूत है कि चुनाव आयोग वोट चोरी करवा रहा है। मैं 100% सबूतों के साथ ये बात कह रहा हूँ। हम जैसे ही ये सबूत सबके सामने रखेंगे, पूरे देश को पता चल जाएगा कि चुनाव आयोग वोट चोरी करा रहा है। किसके लिए करा रहा है? BJP के लिए करा रहा है।'
राहुल ने आगे कहा, 'चुनाव आयोग हमारी मदद नहीं कर रहा था। हमने वोटर लिस्ट, सीसीटीवी फुटेज, और अन्य सबूत मांगे, लेकिन आयोग ने कुछ नहीं दिया। इसलिए हमने अपनी जांच शुरू की। इस जांच में हमें जो मिला है, वो इतना बड़ा है कि इसके सामने आने पर चुनाव आयोग की साख दांव पर लग जाएगी।' उन्होंने सख्त लहजे में चेतावनी दी,
चुनाव आयोग में जो भी वोट चुराने का काम कर रहे हैं, उन्हें हम छोड़ेंगे नहीं। आप हिंदुस्तान के खिलाफ काम कर रहे हैं, जो देशद्रोह है। आप कहीं भी हों, चाहे रिटायर हो जाएं, हम आपको ढूंढ निकालेंगे।
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में कथित धांधली
राहुल गांधी ने अपने बयान में मध्य प्रदेश लोकसभा चुनाव और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में कथित अनियमितताओं का विशेष ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में एक करोड़ नए वोटर अचानक जोड़े गए, और मतदान के अंतिम दो घंटों में मतदान प्रतिशत में 7.83% की असामान्य वृद्धि हुई, जो लगभग 76 लाख वोट के बराबर है। उन्होंने दावा किया कि 85 निर्वाचन क्षेत्रों में 12,000 मतदान केंद्रों पर नए मतदाताओं को जोड़ा गया, जहां बीजेपी ने जीत हासिल की। मध्य प्रदेश के संदर्भ में राहुल ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 में उन्हें संदेह था कि वोटर लिस्ट में हेरफेर और फर्जी मतदान हुआ। उन्होंने कर्नाटक की एक लोकसभा सीट का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां 45, 50, 60, और 65 वर्ष की आयु के हजारों नए मतदाता जोड़े गए, जो सामान्य नहीं है।
कांग्रेस की स्वतंत्र जांच
राहुल गांधी ने बताया कि जब चुनाव आयोग ने उनकी मांगों- जैसे डिजिटल मतदाता सूची और सीसीटीवी फुटेज को उपलब्ध नहीं कराया, तो कांग्रेस ने स्वतंत्र रूप से छह महीने की जांच शुरू की। इस जांच में कथित तौर पर वोटर लिस्ट में हेरफेर, फर्जी मतदाताओं को जोड़ने और मतदान प्रतिशत को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने के सबूत मिले। उन्होंने कहा, 'हमने सिर्फ एक सीट की जांच की, और हमें बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां मिलीं। मुझे यकीन है कि हर निर्वाचन क्षेत्र में यही ड्रामा चल रहा है।'
बिहार में SIR पर विवाद
राहुल गांधी ने बिहार में चल रहे वि
शेष गहन पुनरीक्षण यानी SIR को भी निशाना बनाया। उन्होंने दावा किया कि SIR के नाम पर एससी, एसटी, ओबीसी, और अल्पसंख्यक समुदायों के वोटरों को हटाया जा रहा है, ताकि विपक्ष के वोट बैंक को कमजोर किया जाए। उन्होंने कहा, 'बिहार में लाखों वोटर अपने पते पर नहीं मिले और यह प्रक्रिया बीजेपी के इशारे पर चल रही है।' बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी इस मुद्दे पर राहुल का समर्थन किया और एसआईआर को 'गरीबों के वोट छीनने की साजिश' करार दिया।
चुनाव आयोग इन आरोपों को खारिज करता रहा है। आयोग ने कहा कि मतदाता सूचियां पूरी तरह पारदर्शी प्रक्रिया के तहत तैयार की जाती हैं और उनकी प्रतियां सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ साझा की जाती हैं।
बीजेपी का पलटवार
बीजेपी ने राहुल गांधी के आरोपों को हास्यास्पद और हताशा का परिणाम बताया। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा, 'राहुल गांधी कई चुनावों में हार से दुखी और हताश हैं। वे विचित्र साजिशें रच रहे हैं।' केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तंज कसते हुए कहा, 'जब कांग्रेस कर्नाटक, हिमाचल, और तेलंगाना में जीतती है तो चुनाव आयोग सही लगता है। लेकिन महाराष्ट्र और हरियाणा में हारने पर वोट चोरी का आरोप लगाया जाता है।' उन्होंने यह भी कहा कि ईवीएम को कांग्रेस ने ही पेश किया था, और अब वे उसी पर सवाल उठा रहे हैं।
राहुल गांधी के बयान ने भारतीय राजनीति में नया तूफ़ान खड़ा कर दिया है। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार में कथित वोट चोरी के उनके दावों ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस द्वारा जल्द ही सबूत सार्वजनिक करने का दावा इस मामले को और गर्मा सकता है। यदि ये सबूत ठोस और विश्वसनीय साबित हुए, तो यह भारतीय लोकतंत्र और चुनावी प्रक्रिया के लिए एक बड़ा झटका होगा। दूसरी ओर, यदि ये दावे बिना सबूत के हवा में उछाले गए, तो यह कांग्रेस की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा सकता है। इस मामले में अगले कुछ दिनों में होने वाले खुलासे और जवाबी कार्रवाइयों पर पूरे देश की नजर टिकी है।