केंद्र सरकार ने अगस्त में जब ऑटो सेक्टर के लिए कई तरह की रियायतों का एलान किया था, उसे और उद्योग को भी उम्मीद थी कि इससे मोटरगाड़ियों की बिक्री बढ़ेगी, ऑटो सेक्टर पर छाया संकट टल जाएगा और यह क्षेत्र एक बार फिर आगे की ओर बढ़ेगा। उत्पादन बढ़ेगा, खपत बढेगी, मुनाफ़ा बढ़ेगा और नई परियोजनाएँ आएँगी, रोज़गार के नए मौक़े भी बनेंगे। पर उम्मीद के मुताबिक़ ऐसा नहीं हो सका। नवंबर महीने की बिक्री पर नज़र डालने से साफ़ पता चलता है कि बिक्री बढ़ने के बजाय, पहले से भी कम ही हुई है। ऐसा चारपहिया ही नहीं, दोपहिया क्षेत्र में भी हुआ है। किसी एक नही, तमाम कंपनियों की बिक्री कम हुई है।