दिल्ली के एक चावल निर्यातक ने स्टेट बैंक और दूसरे सरकारी बैंकों से 400 करोड़ रुपए का क़र्ज़ लिया और चुकाए ब़गैर विदेश भाग गया। लेकिन उसके रफूचक्कर होने के चार साल बाद उसके ख़िलाफ़ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई। पुलिस मामले की जाँच कर रही है।
दिल्ली स्थित राम देव इंटरनेशनल लिमिटेड ने सरकारी बैंकों से 414 करोड़ रुपए के क़र्ज़ लिए। उसने स्टेट बैंक से 173.11 करोड़ रुपए, केनरा बैंक से 76.09 करोड़, यूनियन बैंक से 64.31 करोड़, सेंट्रल बैंक से 51.31 करोड़, कॉरपोरेशन बैंक से 36.91 करोड़ और आईडीबीआई बैंक से 12.27 करोड़ के क़र्ज़ लिए।
मामला क्या है?
इस चावल निर्यातक कंपनी ने क़र्ज़ लेकर उसका भुगतान बंद कर दिया। इसे 2016 को ही नन परफ़ॉर्मिंग असेट क़रार दे दिया गया। जब कोई क़र्ज़ की लगातार तीन किश्त नहीं चुकाता है, उसे नन परफ़ॉर्मिंग असेट यानी एनपीए कहते हैं।
स्टेट बैंक ने अपनी शिकायत में कहा है कि उस कंपनी ने संयंत्र से मशीनरी वगैरह निकाल लिए और अपने बैलंश शीट से छेड़छाड़ की। कंपनी के मालिकों के गायब होने के चार साल बाद स्टेट बैंक ने औपचारिक शिकायत की। इस पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
कंपनी लॉ बोर्ड ट्राइब्यूनल ने मई 2018 में कंपनी के 3 निदेशकों के ख़िलाफ़ गिरफ़्तारी का वारंट जारी कर दिया। पर पुलिस उन्हें खोज नहीं पाई। इसके बाद पुलिस ने दिसंबर में बोर्ड को जानकारी दी कि वे लोग गायब हैं और भाग कर दुबई चले गए हैं।
नीरव मोदी
मेहुल चोकसी
विजय माल्या
विजय माल्या पर आरोप है कि उन्होंने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और दूसरे बैंकों के 9,000 करोड़ रुपए कर्ज़ लेकर नहीं चुकाए, पैसे को दूसरी जगह निवेश किया, ग़लत तरीके से कंपनियों से निकाल लिया और ग़ैरक़ानूनी तरीके से विदेश भेज दिया।