देश की अर्थव्यवस्था की हालत तो ख़राब है ही, इसमें भी कृषि की हालत ज़्यादा ही बदतर है। देश का निर्यात लगातार घट रहा है। दूसरे सामान को छोड़िये खेती-किसानी के निर्यात की भी ऐसी ही स्थिति है। देश से चावल का निर्यात काफ़ी गिरा है यानी दूसरे देशों में भारत के चावल की माँग कम हो गई है। इस साल की शुरुआत में चावल के निर्यात में क़रीब तीस फ़ीसदी की गिरावट रही है। क्या यह सरकार की ग़लत नीतियों का नतीजा नहीं है?
विदेश में लोगों ने भारत का चावल खाना क्यों कम कर दिया?
- अर्थतंत्र
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- 20 Sep, 2019
देश से चावल का निर्यात काफ़ी गिरा है यानी दूसरे देशों में भारत के चावल की माँग कम हो गई है। यह सरकार की कुछ ग़लत नीतियों का नतीजा भी है। इस साल की शुरुआत में चावल के निर्यात में क़रीब तीस फ़ीसदी की गिरावट रही है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य, फ़ूड प्रोसेसिंग यानी खाद्य प्रसंस्करण और निर्यात का चोली-दामन का साथ है। यदि कृषि उत्पाद के न्यूनतम समर्थन मूल्य में कोई अप्रत्याशित वृद्धि होती है तो उसका सीधा प्रभाव उस उत्पाद के प्रसंस्करण और निर्यात पर पड़ता ही है। लेकिन निर्यात के प्रोत्साहन के लिए कुछ उपाय कर निर्यात में गिरावट से बचा जा सकता था, लेकिन उल्टे सरकार ने पहले से मिल रहे निर्यात प्रोत्साहन को हटा लिया। इसका चावल के निर्यात पर असर पड़ा।