White collar terror module: जम्मू-कश्मीर एसआईए ने लालकिला ब्लास्ट मामले से जुड़े मामले में श्रीनगर के एक इलेक्ट्रीशियन को गिरफ्तार किया है। उस पर मॉड्यूल के लोगों को लॉजिस्टिक्स सपोर्ट देने का आरोप है।
लाल किले के पास हुए विस्फोट की तीन तस्वीरें
जम्मू-कश्मीर पुलिस की स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एसआईए) ने शनिवार को श्रीनगर के बतामल्लू इलाके के निवासी तुफैल नियाज भट को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी 'व्हाइट कॉलर' आतंक मॉड्यूल से जुड़े एक बड़े केस का हिस्सा है, जो मध्य अक्टूबर में श्रीनगर के नौगाम इलाके के बुनपोरा में पुलिस और सुरक्षाबलों को धमकी देने वाली पोस्टरों की चिपकाने की घटना से शुरू हुई थी। जांच में अब तक कई गिरफ्तारियां हो चुकी हैं, जिसमें डॉक्टरों और धार्मिक व्यक्तियों का शामिल होना सामने आया है।
पुलिस के अनुसार, मध्य अक्टूबर में बुनपोरा की दीवारों पर चिपकाए गए धमकी भरे पोस्टरों की जांच के दौरान सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण किया गया। इससे पहले अरिफ निसार डार उर्फ साहिल, यासिर-उल-अशरफ और मकसूद अहमद डार उर्फ शाहिद को गिरफ्तार किया गया था। इनकी पूछताछ से जांचकर्ताओं को मौलवी इरफान अहमद के सुराग मिले, जो एक पूर्व पैरामेडिकल कर्मचारी से इमाम बने थे। मौलवी इरफान ने कथित तौर पर ये पोस्टर उपलब्ध कराए थे और शामिल डॉक्टरों को प्रभावित करने का काम किया था।
जांच का दायरा कश्मीर से बाहर फैल गया। डिजिटल और भौतिक साक्ष्यों के आधार पर फरीदाबाद के अल फलाह यूनिवर्सिटी से डॉ. मुजफ्फर गनाई और डॉ. शाहीन सईद को गिरफ्तार किया गया। इस दौरान यूनिवर्सिटी से 2,900 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री बरामद की गई। अधिकारियों का मानना है कि इस मॉड्यूल का कोर तीन डॉक्टरों पर आधारित है- डॉ. गनाई, उमर नबी (जो 10 नवंबर 2025 को रेड फोर्ट के पास विस्फोटक से लदी कार चला रहे थे, जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई) और मुजफ्फर राठर जो फरार है।
श्रीनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. जी. वी. सुंदीप चक्रवर्ती ने खुद इस जांच का नेतृत्व किया। उन्होंने बताया कि मामला धीरे-धीरे विस्तार लेता गया और अब यह एक 'व्हाइट कॉलर' आतंक मॉड्यूल के रूप में उभर चुका है, जिसमें पेशेवर लोग शामिल हैं। गिरफ्तारी के बाद जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे पर कुलगाम जिले में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। शनिवार को सशस्त्र सुरक्षाकर्मियों ने एक कार की तलाशी ली।
पुलिस ने कहा कि यह केस आतंकी नेटवर्क की गहराई को उजागर करता है, जो धार्मिक प्रभाव और पेशेवर छद्मावरण का इस्तेमाल कर रहा था। फरार संदिग्ध मुजफ्फर राठर की तलाश जारी है, और जांच एजेंसियां पूरे देश में नेटवर्क को तोड़ने के लिए सक्रिय हैं।
यह सारा मामला लालकिला ब्लास्ट के बाद सामने आया है। 10 नवंबर 2025 को शाम करीब 6:52 बजे दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले के गेट नंबर-1 के पास मेट्रो स्टेशन के बाहर एक हुंडई i20 कार में ज़ोरदार धमाका हुआ। यह एक आत्मघाती कार बम हमला था जिसमें कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई और 20 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए। विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि कार के परखच्चे उड़ गए और पास खड़ी दर्जनों गाड़ियाँ जलकर खाक हो गईं।
कार में एमोनियम नाइट्रेट फ्यूल ऑयल (ANFO) और अन्य हाई-ग्रेड विस्फोटक भरे थे। कुल विस्फोटक की मात्रा कई सौ किलोग्राम बताई जा रही है। सीसीटीवी फुटेज में मास्क पहना हुआ चालक दिखाई दिया, जिसने ट्रैफिक लाइट पर कार रोकी और फिर धमाका किया।
इस मामले में डॉ. उमर नबी (पुलवामा, जम्मू-कश्मीर) कार चलाने वाला आत्मघाती हमलावर, विस्फोट में मारा गया। वो अल फलाह मेडिकल यूनिवर्सिटी फरीदाबाद के अस्पताल से जुड़ा हुआ था। डॉ. मुजफ्फर गनाई को अल-फलाह यूनिवर्सिटी से गिरफ्तार किया गया। यूनिवर्सिटी के पास धौज गांव के पास एक मकान से 2,900 किलोग्राम विस्फोटक बरामद किया गया। इसी मामले में डॉ. शाहीन सईद (लखनऊ) को मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। अब 22 नवंबर को तुफैल नियाज भट को श्रीनगर से गिरफ्तार किया गया। आरोप है कि इलेक्ट्रीशियन, मॉड्यूल में लॉजिस्टिक सपोर्ट दे रहा था। अन्य आरोपियों जासिर बिलाल वानी, आरिफ मीर, फारुख आदि कई डॉक्टर और पेशेवर लोग शामिल हैं।