दिल्ली में समझौता न होने पर और पंजाब से ना मिलने के बाद 'आप' के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने हारकर अब हरियाणा में समझौते की पेशकश कर डाली है।
आम आदमी पार्टी ('आप') के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पिछले दो दिनों में तीन बातें कही हैं। पहली बात - दिल्ली में ‘आप’ सातों सीटें जीतेगी और कांग्रेस के सारे उम्मीदवारों की जमानतें जब्त हो जाएँगी। दूसरी बात - पंजाब में गठबंधन की बात चल रही है और सांसद भगवंत मान दो-तीन में पूरा ख़ुलासा करेंगे और तीसरी बात - राहुल गाँधी विचार करें, दिल्ली में नहीं तो हरियाणा में ही समझौता कर लें।
केजरीवाल दिल्ली में कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ने के लिए बहुत लालायित रहे हैं। ममता बनर्जी और चंद्रबाबू नायडू के मार्फत कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी पर दबाव भी डलवाया है। देश प्रेम की दुहाई भी दी है और मोदी-शाह की जोड़ी को हानिकारक बताते हुए भी विपक्ष की एकता की कसम भी याद दिलाई है। लेकिन इस सबके बावजूद भी दिल्ली में कांग्रेस के साथ ‘आप’ का समझौता नहीं हो सका।
समझौता न होने पर केजरीवाल ने कांग्रेस को बद्दुआएँ भी दीं कि जाओ दिल्ली की सातों सीटों पर तुम्हारी जमानत जब्त होगी। मगर, इसके साथ ही वह पंजाब और हरियाणा में कांग्रेस के साथ समझौते के लिए ठीक उसी तरह गिड़गिड़ा रहे हैं जैसे दिल्ली में समझौते के लिए गिड़गिड़ाए थे।
कांग्रेस को भ्रष्ट बताने और 70 साल से देश और दिल्ली की जनता के साथ धोखा करने वाला बताने पर भी केजरीवाल उससे समझौता करने की जिद आख़िर क्यों कर रहे हैं।
दिल्ली में ‘आप’ के वोट प्रतिशत पर नज़र डालें तो यह साफ़ हो जाएगा कि वह अकेले बीजेपी को हराने में सक्षम नहीं है। यह बात केजरीवाल एंड पार्टी खुलेआम स्वीकार कर चुकी है।
हरियाणा, पंजाब में चाहिए सीट
पंजाब में केजरीवाल का प्रभाव पूरी तरह ख़त्म हो गया लगता है और हरियाणा में अभी रंग जमा नहीं है। केजरीवाल दिल्ली में कांग्रेस को तीन सीटें देकर पंजाब और हरियाणा में तीन सीटें हथियाना चाहते थे और यह कांग्रेस को मंजूर नहीं था।
गिर रहा ‘आप’ का वोट प्रतिशत
केजरीवाल इसीलिए दिल्ली में कांग्रेस से समझौते के लिए छटपटा रहे हैं कि बिना कांग्रेस के उन्हें दिल्ली में एक भी सीट नहीं मिलने जैसी स्थिति पैदा हो रही है और यही स्थिति उनके लिए चिंता पैदा कर रही है।
केजरीवाल की चिंता इसलिए बढ़ जाती है कि अगर दिल्ली से कोई सीट नहीं मिली तो तो फिर कहाँ से मिलेंगी। वह पंजाब में समझौते की बात करते हैं तो पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह इसका साफ़ खंडन करते हैं कि हमारे साथ कोई बातचीत नहीं चल रही है। इसके बाद हारकर केजरीवाल ने अब हरियाणा में समझौते की पेशकश कर डाली है।
केजरीवाल को लग रहा है कि अगर दिल्ली से कोई सीट नहीं आई और पंजाब में भी सफ़ाया हो गया तो फिर ‘आप’ का तो लोकसभा में कोई नामलेवा भी नहीं होगा।
इस बार झोली खाली रहने का डर
केजरीवाल के मुताबिक़, जींद में अगर विपक्षी दल इकट्ठे हो गए होते तो बीजेपी 9 हज़ार वोट से हार जाती, इसीलिए वह हरियाणा में जननायक जनता पार्टी और कांग्रेस के साथ गठबंधन करना चाहते हैं।
आख़िर क्यों गठबंधन करे कांग्रेस