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मध्य प्रदेश के नए सीएम मोहन यादव की फाइल फोटो

शिवराज के जाते ही एमपी में घट गई 1.57 लाख लाडली बहनें 

मध्य प्रदेश में मोहन यादव सरकार बनने के बाद से ‘लाड़ली बहना योजना’ पर छाया कुहासा बुधवार को छंट गया। मोहन यादव सरकार ने 10 जनवरी को लाड़ली बहनों को किश्त का भुगतान कर दिया, लेकिन भुगतान के दौरान डेढ़ लाख से ज्यादा लाड़ली बहनें ‘घट’ गईं। बहनों की संख्या ‘घटने’ पर बवाल मच गया है। 
बता दें, मोहन यादव 11 दिसंबर को भाजपा विधायक दल के नेता चुने गये थे और 13 दिसंबर को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद से कई दिनों तक बार-बार पूछने पर भी नए सीएम मोहन यादव लाड़ली बहना योजना को लागू रखने अथवा बंद करने को लेकर स्थिति को साफ नहीं कर रहे थे।

उधर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान योजना को निरंतर चलाने के लिए लगातार दबाव बना रहे थे। तमाम राजनीतिक दांव-पेंच के बीच मोहन यादव सरकार ने योजना को निरंतर बनाये रखने के अंतर्गत बुधवार 10 जनवरी को लाड़ली बहनों की आठवीं किश्त जारी कर दी। सत्ता संभालने के बाद यादव सरकार ने पहली बार किश्त जारी की है। 
भोपाल में आयोजित एक जलसे में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने सिंगल क्लिक पर 1.29 करोड़ लाड़ली बहनों के खातों में 1576.61 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए। राशि ट्रांसफर करते ही बवाल शुरू हो गया।नई सरकार में 1.57 लाख लाड़ली बहनें ‘घट’ गईं। दिसंबर 2023 में 1 करोड़ 30 लाख 84 हजार 756 हितग्राही थी। जनवरी में घटकर 1 करोड़ 29 लाख 26 हजार 835 हैं।

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2023 में शुरु हुई थी लाडली बहना योजना 

मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना मार्च 2023 में आरंभ हुई थी। अक्टूबर महीने तक 1 करोड़ 31 लाख 2 हजार 182 हितग्राही रजिस्टर्ड थीं, जो अब घट कर 1 करोड़ 29 लाख 26 हजार 835 रह गई। यानी योजना में कुल 1 लाख 75 हजार 347 महिलाओं की संख्या घटी हैं।  

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में भाजपा के पक्ष में जिस तरह के नतीजे आये, उसे इसी योजना से जोड़ा गया। शिवराज सिंह चौहान ने तो शानदार जीत को लेकर बड़ा श्रेय इसी योजना को दिया। हालांकि केन्द्रीय नेतृत्व ने लाड़ली बहना योजना को बहुत भाव न तो चुनाव प्रचार के दौरान दिए और ना ही चुनावों के परिणाम आने के बाद ही दिये।

चुनाव नतीजे आने और शानदार जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव एवं इंदौर से जीत दर्ज करने वाले पार्टी के वरिष्ठ उम्मीदवार (विधायक) कैलाश विजयवर्गीय ने मप्र में लाड़ली बहना गेमचेंजर साबित होने संबंधी मीडिया के सवालों को इस तर्क के साथ सिरे से नकार दिया था, ‘क्या राजस्थान और छत्तीसगढ़ में लाड़ली बहना योजना थी? वहां भी बीजेपी शानदार तरीके से जीती ना।’

मध्य प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद माना गया, केन्द्रीय नेतृत्व और बड़े नेताओं के रूख़ को देखते हुए ही मुख्यमंत्री मोहन यादव, ‘योजना को लेकर न हां कर रहे थे, और न ही ना। अब सीएम मोहन यादव ने योजना को निरंतर जरूर कर दिया, लेकिन लाभार्थियों की संख्या में आयी कमी के बाद सरकार के सामने नई समस्या खड़ी हो गई है। 

कांग्रेस बोली, ‘नए सीएम क्यों चाहेंगे कर्ज लेकर ढोते रहें, लाड़ली बहना योजना को’

मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने बुधवार को एक्स पर लिखा, ‘कर्ज का बोझ नहीं ढो पा रही, विज्ञापन से बनी भाजपा सरकार ने प्रदेश की लाखों लाड़ली बहनों से झूठ बोल कर वोट ले लिया। अब उन्हीं में से 2 लाख बहनों की छंटनी कर दी।’
सिंघार ने आगे लिखा है, ‘जब सितंबर में शिवराज मुख्यमंत्री थे, तब लाड़ली बहनों की संख्या 1.31 करोड़ थी। अब नए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस संख्या को छांटकर 1.29 करोड़ कर दिया। यानी 2 लाख तो नई सरकार बनते ही घटा दी। सरकारी विज्ञापन इसका प्रमाण है, जनता खुद देखे लोकसभा चुनाव के बाद ये संख्या कितनी बचेगी, ये तो नए सीएम मोहन यादव ही तय करंगे।’
उन्होंने एक्स पर आगे लिखा है, नए सीएम क्यों चाहेंगे कि लाड़ली बहना के ‘प्यारे भैया’ शिवराज जी ही बने रहें और मोहन यादव आपकी योजना को कर्ज लेकर ढोते रहें। लाड़ली बहना योजना को लेकर लोगों की शंका गलत नहीं है कि सीएम बदलते ही इस योजना पर तलवार लटकी है। सरकार भले भाजपा की है, लेकिन सीएम का चेहरा तो नया है।
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विभाग ने संख्या घटने को लेकर दी यह दलील

महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारिक सूत्रों ने सफाई देते हुए कहा है, संख्या घटने के तीन कारण हैं:-01. योजना शुरू होने के बाद कई पात्र महिलाओं की मौत हुई है। उनके नाम काटे गए। हालांकि यह संख्या कम है।02. योजना में स्पष्ट प्रावधान है कि 60 साल तक की उम्र में ही योजना का लाभ दिया जाएगा। इसके लिए साठ साल से अधिक उम्र होने पर कट आफ डेट एक जनवरी तय की गई है। इसलिए पिछले 6 माह में जो महिलाएं 60 साल की उम्र पूरी कर चुकी हैं, उनके नाम एक जनवरी 2024 की स्थिति में योजना से बाहर कर दिए गए।03. जिनके अकाउंट नंबर बदल गए या जिन्होंने योजना का लाभ लेने से मना किया, उनके भी नाम सूची से बाहर हुए हैं।  

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क़मर वहीद नक़वी
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