महामारी कोरोना के बढ़ते संक्रमण के ख़तरों और लाॅकडाउन के बीच घरों में रहने और घर का बना खाना खाने से लोगों के स्वास्थ्य में सुधार के दावे भले ही हो रहे हैं, लेकिन अवसाद और धैर्य टूटने का सिलसिला भी ज़बरदस्त ढंग से बढ़ रहा है। सिर्फ राजधानी भोपाल में 22 मार्च (जनता कर्फ्यू) से 07 मई (लाॅकडाउन तीन की मध्य अवधि) के बीच कुल 46 दिनों में 43 आत्महत्याओं की घटनाएँ हुई हैं।