इंदौर और भोपाल के बाद मध्य प्रदेश के मुरैना और ग्वालियर ज़िलों में कोरोना संक्रमण के मामलों में जिस तेज़ी से उछाल आया है, उससे यह तो साफ़ हो गया है कि मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार कोविड-19 के ख़िलाफ़ जंग में या तो पस्त हो गई है या फिर इस वैश्विक महामारी के ख़तरों को भाँपने में बड़ी चूक कर गई है। भोपाल और इंदौर में तो हालात जैसे-तैसे संभल गए लेकिन अब मुरैना और ग्वालियर में संक्रमण के मामलों की रफ्तार बड़े ख़तरे की घंटी बजा रही है। ख़तरा यह भी है कि संक्रमण एक से दूसरे और दूसरे से तीसरे ज़िलों तक न पहुँच जाए और हालात सामुदायिक संक्रमण के न बन जाएँ।
ग्वालियर, मुरैना में भी कोरोना बेकाबू, स्थिति शिवराज सरकार से क्यों नहीं संभल रही?
- मध्य प्रदेश
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- 29 Mar, 2025

इंदौर और भोपाल के बाद मध्य प्रदेश के मुरैना और ग्वालियर ज़िलों में कोरोना संक्रमण के मामलों में जिस तेज़ी से उछाल आया है, उससे क्या यह नहीं लगता कि शिवराज सरकार कोविड-19 के ख़िलाफ़ जंग में या तो पस्त हो गई है?
एक बड़ा ख़तरा यह है कि ग्वालियर और मुरैना की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि ये दोनों ज़िले दिल्ली को जोड़ते हैं, मुरैना सीधे तौर पर धौलपुर से राजस्थान को और ग्वालियर का एक और पड़ोसी ज़िला दतिया झाँसी से उत्तर प्रदेश को जोड़ता है। कहा जा सकता है कि संक्रमण का ख़तरा पड़ोसी राज्यों पर भी मंडरा रहा है। मुरैना ज़िले में संक्रमण के जो मामले सामने आए उसमें यही बात उभर कर सामने आई कि संक्रमण पड़ोसी राज्य राजस्थान के धौलपुर के मार्फत पसरा। अब संक्रमण ने ग्वालियर में पैर पसार लिए हैं। जून के आख़िर तक संक्रमण का ख़तरा तो था लेकिन हालात काबू में थे।