महाराष्ट्र सरकार के एक हालिया फैसले ने राज्य में भाषाई विवाद को जन्म दे दिया है। सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत कक्षा 1 से 5 तक के मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा के रूप में लागू करने का निर्णय लिया है। यह नया नियम शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से लागू होगा, जिसके बाद से राजनीतिक और सामाजिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। विपक्षी दलों और क्षेत्रीय नेताओं ने इस कदम को मराठी पहचान और भाषाई विविधता पर हमला करार दिया है।