भ्रष्टाचार के आरोपियों के लिए बीजेपी में प्रवेश 'गंगा स्नान' जैसा है! कांग्रेस या दूसरे विपक्षी दलों के नेताओं के द्वारा सोशल मीडिया पर इस तरह की बातें सामान्य तौर पर लिखी-बोली जाती रही हैं। लेकिन महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस की सरकार बनाने के लिए जो कुछ किया गया, वह कहीं ना कहीं ऊपर लिखी बात को सही ठहराता है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि एनसीपी के बाग़ी नेता अजीत पवार के बीजेपी को समर्थन देने के बाद 25 नवंबर को एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने सिंचाई घोटाले से जुड़े नौ केस बंद कर दिए थे।
महाराष्ट्र: पहले दोषी अब बेदाग़? अजीत पवार के ख़िलाफ़ दो हलफ़नामे!
- महाराष्ट्र
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- 7 Dec, 2019

महाराष्ट्र की सियासत में ख़ासे चर्चित रहे सिंचाई घोटाले में अजीत पवार के ख़िलाफ़ दो अलग-अलग हलफ़नामे अदालत में क्यों दाख़िल किए गए?
एसीबी ने तब कहा था कि जो नौ केस बंद किए गए हैं, उनका वास्ता अजीत पवार से नहीं है। लेकिन अब मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर बेंच में जो हलफ़नामा सरकार की तरफ से दायर किया गया उसमें इस बात का साफ़-साफ़ उल्लेख है कि अजीत पवार के ख़िलाफ़ कोई भी फौजदारी कार्रवाई नहीं की जा सकती। यह हलफ़नामा एसीबी की अधीक्षक रश्मि नांदेडकर की तरफ़ से 27 नवंबर को अदालत में पेश किया गया है। जबकि महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में नई सरकार का गठन 28 नवंबर को हुआ। लेकिन पिछली सरकार ने 2018 में एक प्रतिज्ञा पत्र अदालत में पेश किया था, उसमें इस मामले में अजीत पवार की भूमिका को जवाबदेह ठहराया गया था।