कांग्रेस सावरकर विरोधी नहीं है, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस बयान के बाद यह सवाल चर्चा में है कि कांग्रेस क्या वैचारिक रूप से दिग्भ्रमित होती जा रही है? या जिस तरह से राहुल गाँधी-प्रियंका गाँधी पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनावों के दौरान मंदिर-मंदिर जाकर पूजा-अर्चना या गंगा यात्रा करके सॉफ्ट हिंदुत्व का संकेत दे रहे थे, यह उसी दिशा में कोई सोचा-समझा क़दम है?