भारत के लिए अच्छी ख़बर ये है कि भारत में चंद्रयान -3 का श्रीगणेश हो रहा है लेकिन बुरी ख़बर ये है कि देश की राजधानी दिल्ली जलमग्न है और यमुना के रौद्र रूप का मुकाबला नहीं का पा रही है। विकास और विनाश की इन दो कहानियों को एक साथ पढ़े बिना आप देश की वास्तविक तस्वीर को नहीं समझ सकते। जाहिर है कि हमारा विकास एकतरफा है। देश को जिस संतुलित विकास की ज़रूरत है उस दिशा में हमारी प्रगति आज भी सवालों के घेरे में है।

तरक्की के बड़े-बड़े दावों के बीच आज दो तस्वीरें दिखीं। एक तरफ तो श्रीकरिकोटा से अंतरिक्ष यान चांद के लिए उड़ा तो दूसरी ओर यमुना के पानी में डूबी हुई दिल्ली। क्या इसे सही विकास कहेंगे?
हम भारतीय वैज्ञानिकों को शुभकामनाएँ देते हैं कि उन्होंने चंद्रयान-3 जैसा उपहार देकर हमें विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी बनाने का करिश्मा कर दिखाया है किन्तु हमारी संवेदनाएँ दिल्ली के लोगों के साथ भी हैं जो यमुना की बाढ़ में डूबे जा रहे हैं। दिल्ली की बाढ़ हमारे अनियोजित विकास की असलियत दुनिया को बता रही है। ये प्रमाणित कर रही है कि अनियोजित और अवैज्ञानिक विकास कभी भी लोकोपयोगी नहीं हो सकता।