गेहूं निर्यात पर सरकार की दोगली नीति सामने आई है। एक तरफ उसने गेहूं निर्यात को बढ़ावा देने के लिए टास्क फोर्स बनाई तो दूसरी तरफ गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया।
हालांकि ये सब वे चीजें थीं जिनका सरकार को पहले से अंदाज था। नई चीज यह हुई कि 12 मई को जब निर्यात प्रोत्साहन की बातें हो रहीं थीं उसी दिन महंगाई के आंकड़े आए और पता चला कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर पिछले आठ साल के सबसे उंचे स्तर पर पहंुच गई है। इसी दिन कुछ अखबारों ने आटे और डबलरोटी के बढ़ते दामों की चर्चा भी शुरू कर दी थी। इस सिलसिले के बहुत आगे तक जाने की आशंकाएं भी उछलने लगी थीं। सरकार कीमतों पर काबू पाने की कोशिश कर रही है यह दिखाने के लिए अब गेहूं के निर्यात पर पाबंदी का ही अकेला रास्ता बचा था।