मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता का मुद्दा सामने आ गया है। समान नागरिक संहिता से विवाद खड़ा होता दिख रहा है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसका सीधा असर हिंदू समाज पर पड़ेगा।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और बीजेपी का एक बड़ा हिस्सा मुसलमानों के तलाक़ और बहुविवाह जैसे धार्मिक अधिकारों का विरोध करता रहा है। इसलिए वे समान नागरिक संहिता का समर्थन करते दिखायी देते हैं। लेकिन हिंदुओं के बीच जो अलग-अलग परंपराएँ हैं उसको लेकर उनकी सोच कभी सामने नहीं आती।
सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और मुसलमान सभी इससे प्रभावित होंगे। क्योंकि सभी धर्मों में परिवार और संपत्ति के बँटवारे से जुड़े क़ानून अलग-अलग हैं। अकेले हिंदुओं में क़रीब एक दर्जन प्रथाएँ चल रही हैं।
आधुनिक युग में समान नागरिक संहिता एक अनिवार्य और क्रांतिकारी क़ानून लगता है, लेकिन यह भी ध्यान में रखना ज़रूरी है कि शिक्षा का व्यापक प्रसार नहीं होने के कारण भारतीय समाज का एक बड़ा हिस्सा सामंती युग में जी रहा है।
शैलेश कुमार न्यूज़ नेशन के सीईओ एवं प्रधान संपादक रह चुके हैं। उससे पहले उन्होंने देश के पहले चौबीस घंटा न्यूज़ चैनल - ज़ी न्यूज़ - के लॉन्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीवी टुडे में एग्ज़िक्युटिव प्रड्यूसर के तौर पर उन्होंने आजतक